इकसठ हजार की चिंता
मुंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 61000 बिंदुओं के स्तर के पार चल रहा है और एक साथ खुशी और चिंता का विषय बना हुआ है।
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एक साल में यह सूचकांक करीब 53 प्रतिशत उछल चुका है, यानी एक साल पहले जिसने बाजार में सौ रु पये लगाए होंगे वह अब करीब 153 रु पये का मालिक है। रिटर्न की यह असाधारण दर है। निश्चय ही जिन्होंने कमाया है, उनके लिए यह खुशी का विषय है, पर चिंता के विषय दूसरी वजहों से हैं। इन दिनों तमाम टीवी चैनलों, पत्र-पत्रिकाओं में एक्सपर्ट राय दे रहे हैं कि शेयर बाजार में निवेश करें। ऐसी सूरत में वो निवेशक डूब जाते हैं, जो शेयर बाजार में पहली बार आ रहे हैं और जिन्हें शेयर बाजार के खतरों का पूरा अहसास नहीं है।
शेयर बाजार की चाल हमेशा एकतरफा नहीं होती, लगातार ऊपर जाता शेयर बाजार किसी वजह से डूब भी जाता है और इनमें से कई वजहें ऐसी हैं जो बाजार के लिए अपरिचित हैं। जैसे मार्च 2020 मे शेयर बाजार बुरी तरह डूबे थे, दुनिया भर के। कोरोना का खौफ ऐसा था कि निवेशकों ने जमकर बिकवाली की। कोरोना को समझना किसी भी एक्सपर्ट के लिए संभव ना था।
अनिश्चितता विकट थी, ऐसी सूरत में बाजार तेजी से गिर जाता है, वही हुआ। अब कोरोना वायरस आएगा और उसके ये परिणाम होंगे, यह बात कोई एक्सपर्ट बता ही नहीं सकता था। तो कुल मिलाकर बाजार का काम अनिश्चितता का है। इसलिए शेयर बाजार में निवेश करनेवालों को बाजार के इस पक्ष का भी ज्ञान होना चाहिए। पर होता यूं है कि आम निवेशक रिटर्न को लेकर तो बढ़चढ़कर बात करते हैं, पर जोखिम पक्ष पर ध्यान नहीं देते, फिर बाजार डूब जाता है, तो उनकी रकम भी डूब जाती है।
एक साल में करीब 53 प्रतिशत का रिटर्न किसी को भी ललचा सकता है, पर लालच बुरी बला है, यह बात समझाना जितना आसान है, समझना उतना ही मुश्किल है। इसलिए बार बार यह दायित्व जानकारों का बनता है कि आम निवेशक को चेताते रहें कि बाजार की राह इतनी आसान नहीं है। अमीर होना इतना आसान नहीं है, जोखिम से भरे रास्ते पर चलने के लिए ज्ञान और विवेक की जरूरत है, इनसे लैस निवेशक ही शेयर बाजार में कमा सकता है। बाकी तो रकम गंवाने के लिए ही बाजार में आते हैं।
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