फेसबुक या फेकबुक
सोशल मीडिया के नाम पर फेसबुक भारत जैसे सहिष्णु देश में जो काली करतूतें कर रहा है उसकी कलई उसी की कई अंदरूनी रिपोटरे और अध्ययनों में खुल गई हैं।
![]() फेसबुक या फेकबुक |
कंपनी के लीक हुए दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि फेसबुक भारत में नफरती संदेशों, झूठी सूचनाओं, भड़काऊ सामग्री तथा हिंसा को फैलाने का माध्यम बन गया है। वेबसाइट भारत में घृणा फैलाने वाली सामग्री को रोकने में भेदभाव करती रही है खासकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ प्रकाशित सामग्री को लेकर ऐसा रवैया अपनाया गया है।
इस तरह की बातें कहने वाले ये दस्तावेज नए नहीं हैं। फेसबुक छोड़ चुके लोग यह बात पहले भी कहते रहे हैं। भारत में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक और भड़काऊ सामग्री बड़ी चिंता की बात रही है। इन पर साझा की गई सामग्री के कारण हिंसा तक हो चुकी है। फेसबुक प्रबंधन लंबे अर्से से इस बारे में जानता है लेकिन उसने इस समस्या को सुलझाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
आज फेसबुक दुनिया भर में खतरनाक राजनीतिक हथियार बन चुका है, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। रिपोर्ट के अनुसार समुदाय विशेष के खिलाफ नफरती संदेशों और फर्जी सूचनाओं के अनेक मामलों में ऐसी सामग्री फेसबुक के अपने फीचर और एल्गोरिदम के जरिए फैलाई गई। इस पर कंपनी के अनेक लोगों ने चिंता जताई है और इस तरह की सामग्री से जिस तरह निपटा गया, उसे लेकर जोरदार असहमति भी जाहिर की है।
फेसबुक ने सफाई दी है कि हाशिये पर खड़े समुदायों जैसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट स्पीच दुनिया भर में बढ़ रही है। हम भी अपनी नीतियों में सुधार कर रहे हैं और जैसे जैसे यह अपना रूप बदलती है, हम भी बदलने को प्रतिबद्ध हैं। फेसबुक के एक कर्मचारी ने 2019 के चुनावों से पहले यह देखने के लिए कि भारत का एक आम नागरिक अपनी न्यूज फीड में क्या देख रहा है, एक टेस्ट अकाउंट बनाया और तीन हफ्ते तक चलाया इस दौरान भारत में कई बड़ी घटनाएं हुई।
पुलवामा में अर्धसैनिक बलों की बस पर हमला हुआ जिसमें 40 भारतीय सैनिक मारे गए। इसके बाद फेसबुक पर फर्जी खबरों और हिंसक सामग्री की बाढ़ सी आ गई थी। फेसबुक का फीचर पॉप्युलर अक्रॉस फेसबुक ऐसी ऐसी सामग्री दिखा रहा था, जिसकी कहीं पुष्टि नहीं की गई थी। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन बातों पर गहराई से नजर रखे और सोशल मीडिया को भ्रामक सूचनाएं फैलाकर सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न करने से रोके।
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