त्वरित राहत में आसानी
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) योजना ने कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार को त्वरित प्रभावी उपाय करने में मदद की।
त्वरित राहत में आसानी |
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य वी. अनंत नागेरन ने लवीश भंडारी अैर सुमिता काले के साथ मिलकर लिखी रिपोर्ट-प्रत्यक्ष लाभ अंतरण : स्थिति और आगे की चुनौतियां-में कहा है कि 2020 में अप्रत्याशित रूप से कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन लगाने से तमाम आर्थिक गतिविधियां शिथिल पड़ गई।
लोगों के रोजगार नहीं रहे। छोटे-मोटे उद्योग-धंधे ठप ही हो गए थे। असंगठित क्षेत्र में सर्वाधिक लोग रोजगारप्राप्त हैं, इससे देश की ज्यादातर कामगार आबादी के सामने गुजर-बसर की समस्या विकराल हो गई। ऐसे में जरूरी था, और है भी कि उन्हें आर्थिक संबल दिया जाए।
उनकी क्रय क्षमता को कमोबेश इतना तो बनाए ही रखा जाए जिससे कि वे अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए समर्थ बने रह सकें। इस लिहाज से डीबीटी बेहद कारगर साबित हुई है। भारत में डीबीटी कार्यक्रम 2013 में आरंभ किया गया था।
इसके जरिए सरकार द्वारा लक्षित वगरे को लाभ का हस्तांतरण किया जाता है। अपनी शुरुआत से ही इस कार्यक्रम ने अपनी उपयोगिता साबित करनी शुरू कर दी थी। लेकिन 2020 में अप्रत्याशित कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गई जो सरकार ने उससे पार पाने के लिए जो त्वरित उपाय किए उनसे जरूरतमंदों को लाभान्वित करने में डीबीटी ने महती भूिमका निभाई।
रिपोर्ट के मुताबिक, डीबीटी के जरिए 2020-21 में कुल 179.9 करोड़ लाभार्थियों को सहायता मुहैया कराई जा सकी। इस योजना का एक अन्य लाभ यह भी गिनाया गया था और बाद में इसकी पुष्टि भी हुई कि लक्षित समूह तक लाभ का अंतरण में बिचौलियों द्वारा की जाने वाली छीजन के लिए गुंजाइश नहीं रही।
सही व्यक्ति या समूह तक सीधे लाभ प्रेषित किया जाता है। बेशक, डीबीटी ने अपनी उपयोगिता साबित की है, लेकिन इस योजना में कुछ खामियां भी इस दौरान दिखलाई पड़ी हैं। एक तो यह कि उचित ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र विकसित हो जिसका समन्वय प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग के स्तर पर होना चाहिए। बहरहाल, डीबीटी ने राहत पहुंचाने में आसानी सुनिश्चित की है।
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