खतरनाक संकेत

Last Updated 11 Oct 2021 12:19:15 AM IST

कश्मीर, एक बार फिर गलत कारणों से सुर्खियों में है। बृहस्पतिवार को श्रीनगर में संदिग्ध आतंकवादियों ने एक स्कूल में घुसकर प्रिंसिपल और एक शिक्षक की हत्या कर दी।


खतरनाक संकेत

इससे ठीक पहले, इसी प्रकार एक प्रतिष्ठित कमीरी पंडित कैमिस्ट की हत्या की गई। कुल मिलाकर, एक हफ्ते में इस तरह से सात साधारण नागरिकों की हत्याएं हुई हैं।

केंद्र शासित क्षेत्र की पुलिस के अनुसार, इस पूरे साल में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में कुल 28 नागरिकों की मौत हुई है। साफ तौर पर यह जम्मू-कश्मीर में अशांति और असुरक्षा के बढ़ने को ही दिखाता है।

बेशक, आमजन को निशाना बनाए जाने की यह कहकर सफाई दी जा सकती है कि सुरक्षा बलोें के दबाव में आतंकवादी सॉफ्ट टारगेट खोजते फिर रहे हैं, लेकिन एक के बाद एक हाल के इन हमलों में चुनकर निशाना बनाए जाने से न सिर्फ घाटी के अल्पसंख्यकों के बीच भारी दहशत फैल गई है बल्कि खबरों के अनुसार, जम्मू की ओर उलट पलायन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

यह दहशत अल्पसंख्यक समुदाय के उन लोगों के बीच खासतौर पर ज्यादा है, जिन्हें जम्मू आदि से बुलाकर घाटी में दूरदराज के इलाकों में सरकारी नौकरियों में लगाया गया था। घाटी में एक बार फिर, अस्सी के दशक के अंतिम वर्षो को याद किया जाने लगा है, टाग्रेटेड हत्याओं से कश्मीरी पंडितों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया था। ऐसी वारदातों के पीछे आतंकवादियों का सांप्रदायिक विभाजन को और गहरा करने की साजिश प्रमुख वजह है।

अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम का भी कुछ असर होगा। बहरहाल, पिछले कई साल से इस सीमावर्ती अशांत क्षेत्र में सीधे दिल्ली से जिस तरह शासन चलाया जा रहा है, वह भी हालात संभालने में मददगार नहीं है।

मुख्यधारा की पार्टियों समेत, सभी राजनीतिक प्रक्रियाओं को पंगु कर के, निर्वाचित पंचायत/जिला परिषद आदि के जरिए, वैकल्पिक नेतृत्व खड़ा करने की सतही कोशिश न सिर्फ टांय-टांय फिस्स हो गई है, इससे पैदा हुए राजनीतिक शून्य में आंतकवादियों की ही ताकत बढ़ी है।

प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई राज्य की पार्टियों की बैठक भी सिर्फ चुनाव से पहले परिसीमन का रास्ता बनाने की कसरत ही साबित हुई है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment