सतर्कता से बचेगी जान
कोरोना महामारी अब ढलान पर है। अब कम लोग इस जानलेवा बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं, जो राहत की बात है।
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आंकड़ों के मुताबिक 203 दिन में सबसे कम एक्टिव केस सामने आए हैं। देश में एक दिन में कोरोना के 22,587 नये मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि 315 लोगों की मौत जरूर चिंता की बात है। इसके बावजूद सभी को बेहद चौकन्ना रहने की जरूरत है। इस महीने (अक्टूबर) और अगले महीने तीन बड़े त्योहार क्रमश: दुर्गा पूजा, दीपावली और छठ पूजा है। इन त्योहारों में सोशल डिस्टेंसिंग और तमाम नियम और सतर्कता पीछे छूट जाती है। नतीजतन संक्रमण तेजी से फैलने का अंदेशा होता है।
केरल में पिछले महीने ओणम और ईद में कोरोना नियमों की अनदेखी का खमियाजा लंबे समय तक लोगों को भुगतना पड़ा था। सैकड़ों की संख्या में लोग न केवल संक्रमित हुए बल्कि कइयों को जान से हाथ धोना पड़ा था। महज केरल की घटना से पूरा देश हलकान था। लोगों में यह डर समा गया कि कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द कहर बरपाएगी। खैर, ऐसा कुछ तो नहीं हुआ मगर कई दिनों तक लोगों की जान सांसत में रही।
जिस केरल मॉडल की प्रशंसा कोरोना की पहली लहर के दौरान हुई थी, उसी केरल को पूरा देश कोस रहा था। यह सब कुछ सिर्फ आमजन की लापरवाही से हुआ था। इसलिए हमें ढीला-ढाला रवैया अपनाने के बजाय सजग रहना होगा। दरअसल, लापरवाही से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, मेक्सिको और फिनलैंड में भी संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई बल्कि कई लोग असमय काल के गाल में समा गए। यानी कोरोना का सबक यह है कि इसे हल्के में लेना मूर्खता है।
भारत में पहली लहर के बाद सरकार और जनता दोनों के शिथिल पड़ जाने से लाखों की संख्या में लोगों की मौत हुई थी। लिहाजा, हमें घरेलू और वैश्विक घटनाक्रम से सबक लेते हुए सतर्क रहने की दरकार है। हमें समय से टीका लगवाना है, कोरोना से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और तबीयत थोड़ी सी खराब लगे तो तुरंत कोरोना टेस्ट कराना चाहिए। निश्चित तौर पर पर्व-त्योहार खुशियां व्यक्त करने का जरिया हैं, लेकिन इस जानलेवा महामारी को अगर मात देना है तो हमें ऐसी खुशियों को कुछ वक्त के लिए त्यागना होगा। इसी में हर किसी की भलाई है। हमें न तो उन देशों की तरह जान-माल का नुकसान करना है और न केरल की तरह भावावेश में आकर बीमारी का न्योता देना है।
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