संवेदना को नोबेल

Last Updated 06 Oct 2021 12:34:14 AM IST

एक विचार किस तरह किसी वैज्ञानिक की विचार श्रृंखला को मथ देता है और उसे नोबेल पुरस्कार के मुहाने तक पहुंचा देता है; इस साल चिकित्सा के लिए दो अमेरिकी वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिलने वाला नोबेल पुरस्कार इसी का उदाहरण है।


संवेदना को नोबेल

मामूली से चिली सॉस के डिब्बों ने वैज्ञानिक डेविड जूलियस के मन में रसायनों से होने वाली जलन और गर्माहट का क्लू दे दिया। सुपरमार्केट में खरीदारी करते समय चिली सॉस के डिब्बों के पास से गुजरते वक्त अचानक उनके मन में एक विचार कौंधा,साथ चल रही पत्नी से उन्होंने जो बात कही, उसने दोनों की जिंदगी बदल डाली। डेविड ने कहा,‘मुझे लगता है कि अंतत: मैंने पता लगा लिया है कि रसायनों से जलन और गर्मी महसूस होने की वजह क्या है।’

उनकी वैज्ञानिक पत्नी ने कहा,‘ठीक है, तब काम पर लग जाओ।’ लगभग उसी वक्त दूसरे वैज्ञानिक ऑर्डम पातापुतियन स्पर्श के रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे। यानी वह पता लगाना चाह रहे थे कि हम बिना देखे भी कैसे किसी वस्तु या व्यक्ति को छूने भर से अनुभव कर लेते हैं।

अमेरिका के इन मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट वैज्ञानिकों को इस साल चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। दोनों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया जाएगा, जबकि दोनों ने अपनी अपनी खोजें एक दूसरे से अलग 1990 और 2000 के दशक के दौरान की थीं।

जूलियस सैन फ्रांसिस्को की कैलिफॉर्निया यूनिर्वसटिी में पढ़ाते हैं। 1997 में जूलियस ने पता लगाया कि स्पर्श के लिए जिम्मेदार नव्र्स के सिरों पर एक प्रोटीन होता है, जो जलन का अहसास कराता है। जूलियस कहते हैं ‘जब आप कोई चीज खोजते हैं तो आपको लगता है कि  आप अकेल व्यक्ति हैं, जिसे इस सवाल विशेष का जवाब पता है।’ स्क्रिप्स रिसर्च के पातापुतियन की खोज भी जूलियस जैसी ही है।

उन्होंने ऐसे दो जीन खोजे, जो दबाव को इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदल देते हैं। वह कहते हैं, ‘एक साल तक काम किया किंतु नकारात्मक नतीजे मिलते रहे। आखिरकार 72वीं बार में  सफलता हाथ लगी।’ आर्मेनियाई मूल के पातापुतियन युद्ध ग्रस्त लेबनान में बड़े हुए हैं। वह 18 वर्ष की आयु में अमेरिका आए थे। उम्मीद है इन वैज्ञानिकों की खोज लाखों मरीजों के लिए राहतकारी सिद्ध होगी और मानवता का कल्याण करेगी।



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