ऐतिहासिक मुकाम
सेंसेक्स यानी मुंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक ने 21 जनवरी, 2021 को एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया।
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यह मुकाम 50000 बिंदुओं का है। इतिहास में पहली बार सेंसेक्स ने 50000 का शिखर छुआ। अर्थव्यवस्था ने कोरोना के झटकों से उठकर लड़खड़ाकर चलना शुरू किया है। ऐसे में सेंसेक्स की इस मजबूती पर खुशी होती है, पर आश्चर्य भी होता है कि जब वित्त मंत्री संसाधन उगाही के नये-नये रास्ते तलाश रही हैं और कई उद्योग अभी भी राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, तब ऐसा क्या हो गया है निवेश जगत में कि सेंसेक्स लगातार ऊपर का रुख बनाए हुए है।
सेंसेक्स ने 2020 के साल में करीब 17 प्रतिशत का प्रतिफल दिया, यह प्रतिफल इतना शानदार था कि लगा ही नहीं कि कोरोना ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कहीं से प्रभावित किया। दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर भरोसा करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। दिसम्बर, 2020 में खत्म हुई तिमाही में कई कंपनियों ने वित्तीय परिणामों की घोषणा की, ये परिणाम उम्मीद से ज्यादा बेहतर थे। विदेशी निवेशक भारत में अपना भरोसा लगातार बनाए हुए हैं। जीएसटी संग्रह को लेकर सरकार की चिंताएं कम हुई हैं। दुनिया भर से समाचार सकारात्मक हैं। जो बाइडेन का रुख तमाम मसलों पर टकराव वाला ना रहेगा, जैसा आम तौर पर ट्रंप का रहा करता था, ऐसी उम्मीदें सब तरफ लगाई जा रही हैं। समायोजन की राजनीति टकराव की राजनीति की जगह लेगी अमेरिका में, ऐसी उम्मीदें हैं।
बाइडेन अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए नये पैकेज घोषित करेंगे, ऐसी भी उम्मीद है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का मजबूत होना कहीं-ना-कहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है, खास तौर पर भारत का साफ्टवेयर उद्योग नई तरह से राहत की सांस ले रहा है बाइडेन के आने के बाद। कुल मिलाकर सेंसेक्स 50000 के पार जा चुका है, अब यह थोड़ा बहुत नीचे-ऊपर हो भी जाए, तो निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि कोरोना अर्थव्यवस्था को चौपट कर सकता है, उम्मीदों को नहीं। पर सावधानी की भी दरकार है। शेयर बाजार ऊपर जाता है, तो तमाम छोटे निवेशक बड़े प्रतिफल की उम्मीद में बिना आवश्यक ज्ञान के बाजार में आ जाते हैं, और अपने हाथ जला लेते हैं। अतीत में शेयर बाजार की तेजी से हमें यही सबक मिलता है कि तेजी हो या मंदी, बिना पूरे ज्ञान के शेयर बाजार में निवेश नहीं करना चाहिए।
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