ड्रा में दिखा दम
चोटों की समस्या से जूझ रही टीम इंडिया ने जबर्दस्त संघर्ष क्षमता का प्रदर्शन करके सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट को ड्रा करा लिया।
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इस ड्रा के लिए हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन की जितनी भी तरीफ की जाए, वह कम है। इस जोड़ी को तोड़ने के लिए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने हर तरकीब आजमाई पर उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। इस उतार-चढ़ाव वाले इस टेस्ट में सुबह कप्तान अजिंक्य रहाणे के जल्द आउट हो जाने पर एक बार लगा कि ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा मैच में भारी हो गया है, लेकिन ऋषभ पंत और चेतेश्वर पुजारा ने चौथे विकेट की साझेदारी में 148 रन जोड़कर भारत की जीत की संभावनाएं तक बना दीं थीं। पंत का शतक बनाने की जल्दबाजी में विकेट गंवाने से बार फिर पलड़ा ऑस्ट्रेलिया का भारी हो गया। पंत जब 92 रन पर पहुंचे तो उन्हें लगा कि अगले कुछ ओवरों में ही दूसरी नई गेंद ली जा सकती है। इसलिए वह जल्द से जल्द शतक तक पहुंचना चाहते थे। इस प्रयास में ही वह अपना विकेट गंवा बैठे। इतना जरूर है कि उन्होंने यदि धैर्य बनाए रखा होता तो बहुत संभावना थी कि हम यह टेस्ट जीतकर सीरीज में 2-1 से आगे हो गए होते। पंत के बाद पुजारा के भी चले जाने पर विहारी और अश्विन ने जिस तरह विकेट पर डटने का जज्बा दिखाया, हमेशा याद किया जाएगा।
दिलचस्प बात यह है कि इस जोड़ी ने टारगेट का पीछा करते समय चौथी पारी में 43 ओवर तक डटे रहकर नया रिकॉर्ड बनाने के दौरान चोटिल होने पर भी हार नहीं मानी। विहारी रन लेने के प्रयास में हैमस्ट्रिंग का शिकार बन गए थे और उन्हें दौड़ने में दर्द हो रहा था। वही अश्विन की कमर में कमिंस की गेंद लगने से दर्द हो रहा था। इसलिए इस जोड़ी ने अपनी 259 गेंदों लंबी साझेदारी में रन के लिए दौड़ने के बजाय विकेट पर टिके रहने पर जोर दिया। भारत ने पहले टेस्ट के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद दूसरे टेस्ट में शनदार जीत पाकर वापसी की थी। पर वह यदि इस टेस्ट में हार जाती तो टीम का मनोबल टूट सकता था। इस प्रदर्शन के बाद वह अब 15 जनवरी से ब्रिस्बेन में खेले जाने वाले चौथे और आखिरी टेस्ट में ऊंचे मनोबल के साथ उतर सकेगी। यह सही है कि रविंद्र जडेजा के अंगूठे में फ्रैक्चर के बाद सीरीज से बाहर होने से भारत को झटका लगा है। चोटों की समस्या के कारण टीम के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं।
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