16 से टीकाकरण
आखिर वह घड़ी आ ही गई, जिसकी प्रतीक्षा देश की जनता को लंबे समय से थी।
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सरकार ने 16 जनवरी से देशभर में टीकाकरण की शुरुआत का एलान किया है। टीकाकारण के पूर्वाभ्यास के लिए अब तक 2 बार देशव्यापी ड्राई रन भी किए जा चुके हैं। कोविड-19 की टीकाकरण प्रक्रिया से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 जनवरी को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बातचीत करेंगे। कोरोना का टीका आ जाना और उसका हर जरूरतमंद को लग जाना-ये बातें दो अलग बातें हैं। भारत जैसे देश में कई राज्यों की जनसंख्या यूरोप के कई देशों की कुल जनसंख्या से ज्यादा है। फिर स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की स्थिति भी बहुत शानदार स्थिति में नहीं है, अधिकांश राज्यों में। एक अलग समस्या यह है कि कोरोना के टीके पर राजनीति अलग चल रही है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य के सभी जरूरतमंद लोगों को प्रदेश सरकार मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन लगवाएगी। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि टीके को सामने लाकर डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने तो अपने काम को अंजाम दे दिया है, पर अब नेताओं, अफसरशाही और चिकित्सकीय ढांचे को अपने काम को अंजाम देना है। इस संबंध में जनअभियान-जन शिक्षण अभियान चलाये जाने की जरूरत रहेगी। टीके के लिए कैसे पंजीकरण होगा, कहां होगा, किस विधि से होगा, इन सारे सवालों का सम्यक जवाब सबको मिलना चाहिए। जरूरी मोबाइल एप्लीकेशन वगैरह कहां से कैसे डाऊनलोड होंगे, इस सबकी जानकारी भारतीय भाषाओं में सबको दी जानी जरूरी होगी। हाल यह है कि कई फर्जी मोबाइल एप्लीकेशन टीके से जुड़ी जानकारियां देने का दावा कर रहे हैं।
हाल में एक महत्त्वपूर्ण बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि टीकाकरण की प्रकिया में मोबाइल एप्लीकेशन और इंटरनेट को महत्ता देने से पहले हमें यह भी याद रखना होगा कि देश के हर भाग में इंटरनेट की रफ्तार तेज नहीं है और कई जगह तो इंटरनेट चलता ही नहीं है। ऐसी सूरत में टीके से जुड़ी प्रक्रियाओं को कैसे पूरा किया जाएगा, यह सवाल खड़ा होता है। फिर भारत में विकट किस्म के नक्काल हैं, असली टीके के साथ नकली टीके के कारोबार भी सिर उठाएगा, उससे निपटने की तैयारी भी जरूरी है। कुल मिलाकर भी टीका आ गया है पर उसे जमीन पर लाने के लिए बहुत श्रम और रचनात्मकता की जरूरत है।
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