शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण

Last Updated 08 Jan 2021 02:43:51 AM IST

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में पिछले 12 घंटे के घटनाक्रम ने लोकतंत्र की ताकत, उसकी सीमा और उसकी कमजोरियों को उजागर किया है।


शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण

दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दावा करने वाला अमेरिका 6 जनवरी को एक अप्रत्याशित और असाधारण राजनीतिक संकट का गवाह बना जो देश को किसी भी रास्ते पर ले जा सकता था। अंतत: राजनीतिक बुद्धिमता और संयम की जीत हुई तथा राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा नहीं मानने की जिद पर अड़े डोनाल्ड ट्रंप ने नवनिर्वाचित डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन के पक्ष में शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की बात सार्वजनिक रूप से जाहिर की। इस तरह पिछले दो महीने से जारी राजनीतिक संकट और अनिश्चितता का पटाक्षेप हुआ।

संकट टलने के बावजूद यह यक्ष प्रश्न कायम है कि राजनीतिक रूप से विभाजित अमेरिकी समाज पुरानी बातों को भूलकर नई शुरुआत कर सकेगा या नहीं? ट्रंप ने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की बात स्वीकार करने के बावजूद यह घोषणा की कि उनका संघर्ष जारी रहेगा। जाहिर है कि यह संघर्ष केवल वैद्य मतों की गिनती तक ही सीमित नहीं है। ट्रंप अपने 4 वर्ष के कार्यकाल में अमेरिका की राजनीति और समाज जीवन पर वर्चस्व कायम रखने वाले प्रतिष्ठान से जूझते रहे। 7 करोड़ से अधिक मतदाताओं का समर्थन हासिल करने वाले डोनाल्ड ट्रंप आगामी दिनों में अपना संघर्ष कैसे जारी रखेंगे, इस पर अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर होगी। नये राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए भी यह चुनौती होगी कि वह विभिन्न स्तरों और आधारों पर विभाजित अमेरिकी समाज को एकजुट करने के लिए कौन से कदम उठाते हैं।

छह जनवरी को अमेरिकी संसद में नाटकीय घटनाक्रम हुआ। अमेरिकी संसद भवन कैपिटल हिल में ट्रंप के समर्थक घुस आए। पुलिस के साथ उनका टकराव हुआ जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। यह हिंसा उस समय हुई जब अमेरिकी संसद ने इलेक्टोरल कॉलेज की प्रक्रिया चल रही थी। समूची दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में इस घटना की कड़ी निंदा की जा रही है। अमेरिका के संसद भवन कैपिटल हिल में जो कुछ हुआ, उसे अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में काला दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा। इस घटना के बाद अमेरिकी संसद ने 3 नवम्बर के चुनाव में जीत दर्ज करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडेन की राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर मुहर लगा दी है। वह बीस जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालेंगे।



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