आकर्षक निवेश गंतव्य
दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के उप-भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के प्रकोप के बाद ‘सबसे अधिक लचीली’ साबित हो सकती है।
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यह निष्कर्ष निकाला गया है संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में। रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 के बाद आर्थिक वृद्धि बेशक कम रहेगी लेकिन इसके सकारात्मक होने और भारत के बड़े बाजार के कारण भारत निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना रहेगा। ‘एशिया और प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रुझान और परिदृश्य-2020-21’ नाम से यह रिपोर्ट एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग ने जारी की है। दरअसल, अभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा निर्माण क्षेत्र में ज्यादा आ रहा है। बहुराष्ट्रीय उद्यम सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं से संपन्न स्थानीय डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश कर रहे हैं।
खास तौर पर ई-कॉमर्स में काफी अंतरराष्ट्रीय निवेश आया है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 तक सूचना प्रौद्योगिकी और व्यवसाय प्रबंधन, डिजिटल संचार सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे मुख्य डिजिटल क्षेत्र का आकार दोगुना हो सकता है। कोविड-19 पर अंकुश के लिए लॉकडाउन की वजह से दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, लेकिन भारत अपने तीन सकारात्मक पहलुओं के बल पर आर्थिक पुनरुत्थान के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बा के मुताबिक, ये तीन पहलू हैं-ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा, मजबूत संघवाद और विशाल उपभोग आधार। दरअसल, सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सरकार के समक्ष आगामी महीनों और वर्षो में आ सकने वाली चुनौतियां स्पष्ट है।
चुनौतियां ये कि-अर्थव्यवस्था को मजबूत वृद्धि की राह पर लाना है; कि-सुनिश्चित करना है कि वृद्धि समावेशी हो; कि-कम आय वर्ग के परिवारों को भी तेज वृद्धि का लाभ मिले। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मनरेगा ने एक बार फिर अपनी सार्थकता साबित की है। इसकी जब ज्यादा जरूरत थी, तब इससे काफी मदद मिली। महामारी का प्रकोप शुरू होते ही सरकार ने महिलाओं, पेंशनभोगियों और किसानों के हाथ पैसा पहुंचाने की तत्परता दिखाई उससे भी आर्थिक गतिविधियां ज्यादा शिथिल नहीं पड़ने पाई। सो, आगामी समय बेहतरी का संकेत दे रहा है।
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