ऊंचाइयों के शेयर
यद्यपि 25 नवम्बर, 2020 को मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेनसेक्स 694.92 बिंदु गिरकर 43,828.10 बिंदु पर बंद हुआ पर कुल मिलाकर सेनसेक्स में हालिया उछाल ने कई आर्थिक विश्लेषकों को चकित ही किया है।
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सेनसेक्स पहली बार 44000 बिंदुओं के बार चला गया। पिछले छह महीनों में करीब 43 प्रतिशत की उछाल इसमें देखने को मिली है। यूं पिछले छह महीनों को अर्थव्यवस्था के लिहाज से नकारात्मक ही माना जाना चाहिए। स्टॉक बाजार अर्थव्यवस्था का आईना माना जाता है, संकेतक माना जाता है। सेनसेक्स पिछले छह महीनों में उछल गया है करीब 43 प्रतिशत जबकि अर्थव्यवस्था में तो सिकुड़ाव के आसार बन रहे हैं।
फिर उछलता सेनसेक्स क्या कहता है? सवाल महत्त्वपूर्ण हो गया है। उछलते शेयर बाजार को सरकारें अपनी सफलता के तौर पर प्रस्तुत करती हैं। पर कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था का हाल ऐसा हो गया है कि बहुत कुछ ऐसा नहीं है, जिसे बहुत सकारात्मक उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा सके। हां, विदेशी मुद्रा कोष का मामला जरूर बहुत सकारात्मक है, 13 नवम्बर, 2020 को रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारतीय विदेशी मुद्रा कोष 572 अरब डॉलर से ऊपर जा चुका था। इस आंकड़े में ही शेयर बाजार की तेजी का राज छिपा है।
विदेशी निवेशक जमकर भारतीय शेयरों में निवेश कर रहे हैं। यह दिलचस्पी कई वजहों से है। एक तो यह है कि बावजूद तमाम समस्याओं के भारतीय शेयर बाजारों के रिटर्न ग्लोबल स्तर के मुकाबले शानदार माने जा सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था देर सबेर तेजी की ओर वापस होगी, इस उम्मीद पर भी निवेशकों की दुनिया कायम है। ऑटो सेक्टर की तेजी हाल में पहचानी ही जा चुकी है, तो कुल मिलाकर विदेशी निवेशकों को लग रहा है कि कोरोना के धक्के के बाद दुनिया में जो अर्थव्यवस्थाएं सबसे तेज गति से उठेंगी, भारतीय अर्थव्यवस्था उनमें से एक होगी।
इसलिए अभी ही भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयरों में निवेश करना उन्हें बुद्धिमत्ता की बात लग रही है। पर आम निवेशकों को समझ लेना चाहिए कि शेयर बाजार मूलत: अनिश्चित ही होते हैं। इसलिए उन्हें नहीं समझना चाहिए कि बाजार में तेजी हमेशा बरकरार रहेगी। बहुत कम अवधि में बहुत ज्यादा कमाने की इच्छा रखने वाले निवेशकों ने अपने हाथ शेयर बाजार में जलाए ही हैं। तो छोटे निवेशकों को संभल कर निवेश की आवश्यकता है।
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