फिर से बेकाबू कोरोना
राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ कोविड-19 का लगातार बढ़ रहा संक्रमण एक गंभीर चिंता का विषय है।
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चिंता का विषय यह भी है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण और स्मॉग का महमारी पर क्या असर पड़ेगा। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों की वायु गुणवत्ता का स्तर काफी खराब स्थिति में पहुंच गया है।
सर्दियों के मौसम की शुरुआत होते ही यह आशंका जताई जा रही थी कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण दोबारा बढ़ सकता है और यह आशंका सच साबित हो गई है। महामारी विशेषज्ञों की समिति ने अपने एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया था कि नवम्बर महीने के अंत तक रोजाना 12 से 14 हजार कोरोना संक्रमण के नये मामले आ सकते हैं। बीते रविवार को कोरोना के 7,745 नये मामले सामने आए, जो अबतक का सर्वाधिक है। महामारी से 24 घंटे में 77 लोगों की मौत हो गई और एक दिन में कोरोना संक्रमण की दर 12.11 फीसद से बढ़कर 15.26 फीसद हो गई।
इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि कोरोना विषाणु नामक अदृश्य शत्रु अभी जीवित है और इसे मारने के लिए न तो कोई दवाई उपलब्ध है और न ही इसका टीका तैयार हुआ है। आर्थिक गतिविधियां और कारोबार शुरू करने के लिए जब लॉकडाउन हटाया गया तो लोगों ने मान लिया कि कोरोना खत्म हो गया और सार्वजनिक जीवन में लापरवाही बरतने लगे। हालांकि पर्व और त्योहारों के आने के पहले ही प्रधानमंत्री ने देशवासियों को सतर्क किया था और इस महामारी के विरुद्ध संघर्ष तेज करने के लिए जनआंदोलन की शुरुआत भी की। उन्होंने ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ का मंत्र भी दिया, लेकिन लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
यही वजह है कि दिल्ली कोरोना महामारी की तीसरी लहर की चपेट में आ गया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि कोविड-19 के लिए गठित नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि आम लोगों को टीका के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ेगा। उनकी इस सूचना में चेतावनी भी झलक रही है। उनकी बात का यह आशय निकाला जाना चाहिए कि 2022 तक लोगों को महामारी से बचने के लिए मास्क पहनना होगा, हाथ साफ रखने होंगे और सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।
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