लोजपा-भाजपा में रार

Last Updated 20 Oct 2020 01:15:12 AM IST

भारतीय जनता पार्टी से सीटों का तालमेल न होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के तेवर से बिहार में चुनाव को और ज्यादा दिलचस्प बना दिया है।


लोजपा-भाजपा में रार

 पहले तो कुछ दिनों तक लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने यह कहकर भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) की सिरदर्दी बढ़ा दी कि उनकी पार्टी नीतीश की जद (यू) को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करने वाली। फिर चिराग यह कहते दिखे कि वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हनुमान हैं। यानी लोजपा की पूरी रणनीति यह थी कि जद (यू) के मतदाताओं को भ्रमित कर दिया जाए। लोजपा तो यह भी दावा करती नहीं थकती कि चुनाव बाद भाजपा और लोजपा की सरकार बनेगी। भाजपा के साथ मिलकर तीन और पार्टियां-जद (यू), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) चुनावी मैदान में है।

ऐसे में अगर लोजपा यह कहे कि नीतीश की पार्टी को हराना है और चुनाव बाद के समीकरण में नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे; तो यह निश्चित तौर पर राजग के लिए चिंता और सियासी वजूद के खतरे की बात है। लिहाजा बिना वक्त जाया किए भाजपा ने स्थिति स्पष्ट करने में भलाई समझी। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया कि लोजपा ‘वोटकटवा’ पार्टी है और चुनाव बाद भी नीतीश ही गठबंधन के नेता हैं। मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। लोजपा का राजग से कोई लेना-देना नहीं है। चिराग राजग में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। मगर जावड़ेकर के इतना कुछ कह देने के बावजूद अभी तक मतदाताओं के मन में काफी किंतु-परंतु है। क्योंकि भाजपा के लोजपा के प्रति आक्रामक बयानबाजी के बावजूद लोजपा भाजपा के प्रति समझदारी और ठंडे दिमाग से प्रतिक्रिया दी है।

जाहिर है लोजपा के इस कदम से जद (यू) हतप्रभ है। दूसरी ओर, पूरे प्रदेश में मतदाताओं के बीच यह संदेश जा चुका है कि लोजपा भाजपा की सहयोगी पार्टी है। चूंकि केंद्र में राजग का हिस्सा लोजपा भी है इसलिए मतदाताओं में ज्यादा पशोपेश है। फिलहाल तो सभी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा का इंतजार है, जब वो चुनावी रैली के लिए बिहार पहुंचेंगे। मोदी लोजपा के खिलाफ बोलते हैं, चुप रह जाते हैं या कुछ और संकेत करते हैं; यह देखना बाकी है। हां, नीतीश की चुप्पी भी बहुत कुछ कहती है। वाकई चुनाव के कई रंग अभी शेष हैं।



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