ट्रायल डेटा का इंतजार
देश के लिए अच्छी खबर है। कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन की अपील पर भी हमें ध्यान देने और अमल करने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि त्योहारों में कोरोना से बचने के लिए भीड़-भाड़ से लोगों को बचना होगा। जहां तक बात कोरोना टीके के वितरण की है तो स्वास्थ्य मंत्री ने इस मसले पर कई अहम जानकारियां साझा की है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सरकार की योजना बुजुगरे के बजाय युवाओं को पहले वैक्सीन उपलब्ध कराने की नहीं है। साथ ही कोरोना टीके के आपातकालीन प्रयोग पर अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। यानी ट्रायल डेटा का सरकार को इंतजार है।
फिलहाल लोगों की सुरक्षा के लिए वैक्सीन के ट्रायल के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल डेटा का इंतजार हो रहा है। हां इतना जरूर इशारा किया गया है कि संक्रमण के जोखिम वाले समूह को प्राथमिकता दी जाएगी। कह सकते है कि वैक्सीन के उपयोग को लेकर सरकार के स्तर पर मगजमारी हो रही है। सबसे पहले वैक्सीन किसे दिया जाए और किसे दूसरे चरण में इसके इस्तेमाल की अनुमति मिले; इस मसले पर फिलहाल मंथन जारी है। स्वाभाविक तौर पर भारत जैसे देश में प्राथमिकता के आधार पर ही टीकाकरण की तैयारी जरूरी है।
मगर अहम सवाल यही कि क्या कोरोना वैक्सीन भारत में सीमित मात्रा में ही सप्लाई की जाएगी? सरकार को इस बारे में स्थिति साफ करनी चाहिए। ठीक है कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के मामले कम दर्ज हो रहे हैं, किंतु इस तथ्य को भी नहीं नकारा जा सकता कि कई मरीजों में इसके लक्षण बिल्कुल भी नहीं दिखे। वहीं कई मरीजों को दोबारा इस खतरनाक बीमारी ने अपना शिकार बनाया। जहां तक बात वैक्सीन की है तो सरकार के पास वैक्सीन एक या दो साल के भीतर उपलब्ध हो जाए। लेकिन सबसे बड़ी सिरदर्दी उसके वितरण को लेकर है।
हालांकि अभी सरकार के पास लंबा वक्त है और उसे इस बारे में नियोजित तरीके से आगे बढ़ने की जरूरत है। हो सके तो सरकार पूर्व अनुभवों का इस्तेमाल इसके वितरण को ध्यान में रखकर कर सकती है। साथ ही दूसरे देशों से भी इस बारे में सलाह ले सकती है। निश्चित तौर पर कोरोना ने भारत समेत विश्व के बाकी देशों में तबाही मचाई है, लेकिन अनुशासित होकर ही इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। फिलहाल तो मास्क ही वैक्सीन है। लिहाजा हर किसी को बेहद सतर्क रहना होगा।
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