उम्मीदों का रिजर्व
रिजर्व बैक के आकलन के अनुसार 2021-22 में दस प्रतिशत विकास दर हासिल होने की उम्मीद है तो अर्थव्यवस्था को लेकर एक आस्ति का भाव जगना चाहिए।
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हालिया घोषणाओं में रिजर्व बैंक ने जैसे उम्मीदों का रिजर्व पेश कर दिया है। रिजर्व बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की शुरु आती तीनों तिमाहियों में विकास दर नकारात्मक रहेगी, जो अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च, 2021) में 0.5 प्रतिशत रह सकती है। अप्रैल-जून, 2021 की तिमाही में विकास दर 20.6 प्रतिशत रहने की बात कही है। शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने वर्ष 2020-21 के दौरान देश की इकोनोमी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट होने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक ने हालिया मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को कम करने वाले कोई कदम नहीं उठाए।
गौरतलब है कि अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट में कमी करता है, तो रिजर्व बैंक का संकेत होता है कि बाजार में ब्याज दरों में कमी होनी चाहिए। ऐसी मांग थी कई आर्थिक विश्लेषकों की कि ब्याज दरों में कटौती होनी चाहिए ताकि बाजार में तमाम आइटमों की मांग में बढ़ोतरी हो। रिजर्व बैंक आश्वस्त लगता है कि बाजार में तमाम वस्तुओं और सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी होगी, ब्याज दरों में कटौती के हथियार के इस्तेमाल के बगैर। ब्याज कटौती के ब्रह्मास्त्र को रिजर्व बैंक ने अभी बचाकर रखा है यानी इसका इस्तेमाल आगे कभी किया जा सकता है। कुल मिलाकर रिजर्व बैक के आशावाद के मूल में कुछ महत्वपूर्ण कारण दिखते हैं। खेती किसानी की स्थिति ठीक चल रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती के समाचार हैं। राजकोषीय घाटे को लेकर भी रिजर्व बैंक ने कुछ अनुमान पेश किए हैं।
केंद्र और राज्य का संयुक्त राजकोषीय घाटे का स्तर चालू वित्त वर्ष में 12 प्रतिशत (जीडीपी के सापेक्ष) और अगले वित्त वर्ष के दौरान नौ प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। गौरतलब है कि कोरोना की महामारी से असाधारण परिस्थितियां पैदा हुई हैं। इन असाधारण परिस्थितियों ने निपटने के लिए असाधारण कदमों की आवश्यकता थी और है। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को कुछ ज्यादा खर्च करना पड़ा है। इसके चलते राजकोषीय घाटे में बढ़ोत्तरी आशंकित है। असाधारण परिस्थितियों में घाटा असाधारण होना असाधारण बात नहीं है। महत्त्वपूर्ण यह है कि अब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है।
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