हैं तैयार हम
चीन लगता है अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह अभी भी भारत को अस्थिर करने और सीमा पर गड़बड़ी करने की साजिश रच रहा है।
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यह तथ्य इसलिए सच के करीब है क्योंकि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने चीन की सच्चाई को भांपकर ही यह बयान दिया कि किसी भी खतरे से निपटने में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। यह भावना में बहकर दी गई टिप्पणी नहीं है। अगर वायुसेना के सर्वोच्च अधिकारी ऐसा कह रहे हैं तो जरूर इस बात में सच्चाई है कि चीन पूर्वी लद्दाख में तनाव जारी रखकर भारत को उलझाना चाहता है। साथ ही सीमा पर तनाव भी अपने चरम पर है। यही कारण है कि भदौरिया को सीधे-सीधे चीन को उसकी औकात बताने की बात सार्वजनिक रूप से कहनी पड़ी। निश्चित तौर पर भारत ने हाल के वर्षो में चीन की धमकी देने और भारत का नुकसान पहुंचाने की हिकमत को बहुत अच्छे से समझ लिया है। अब उसकी किसी भी बात पर भारत भरोसा नहीं करता है। यही वजह है कि चीन ज्यादा बदहवास और अनर्गल पल्राप पर उतर आया है।
वह भारत को बर्बाद करने और परोक्ष रूप से पाकिस्तान के कंधे पर हाथ रखकर आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश में जी-जान से जुटा हुआ है। और उसे उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने भी अपनी तैयारियां कर रखी हैं। मसलन; भारत चीन से लगी सीमा पर सड़क, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे को तेजी से निर्माण कर रहा है। साफ है कि युद्ध के वक्त सैनिकों को रसद-पानी, हथियार और अन्य सैन्य उपकरण द्रुत गति से पहुंचाया जा सके। राफेल की तैनाती भी भारत की इसी रणनीति को ध्यान में रखकर की गई है। जगजाहिर है राफेल के भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद से भारत की स्थिति सामरिक मोच्रे पर ज्यादा सुदृढ़ हुई है। इसके अलावा हल्के लड़ाकू विमान तेजस और 114 एमआरएफए विमान की खरीद भी भारत की इसी रणनीति का परिचायक है।
मगर इसके साथ ही भारत का प्रयास है कि तनाव को न्यून स्तर पर पहुंचाया जाए और बातचीत से ही सामान्य स्थिति बहाल करने का रास्ता निकाला जाए। मगर चीन की चालबाजियों का कोई ओर-छोर नजर नहीं आता है। इसलिए अगर वायुसेना प्रमुख ने अपनी तैयारियों को लेकर जो बयान दिए हैं, उसके गहरे निहितार्थ हैं। निश्चित तौर पर चीन के दागदार अतीत को देखते हुए हमें हमेशा तैयार और चौकस रहना होगा।
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