जिंदा है कोरोना
देश के नागरिकों को कोरोना विषाणु महामारी जैसे अदृश्य शत्रु के विरुद्ध जंग लड़ते हुए करीब छह महीने से ज्यादा हो गया है।
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और इतने दिनों में लोग सावधानियां बरतते हुए इस अदृश्य शत्रु के साथ रहने के अभ्यस्त भी हो गए हैं। जब जनसामान्य कोरोना के साथ जीवन-यापन की प्रक्रिया शुरू कर चुका है तो सरकार भी लॉकडाउन के दौरान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर लगाई गई पाबंदियों को चरणबद्ध तरीके से हर महीने हटा रही है। इस क्रम में गृह मंत्रालय ने पांचवे चरण की घोषणा की है। इस नये दिशा-निर्देशों को एक वाक्य में यह कहा जा सकता है कि कन्टेंमेंट जोन की गतिविधियों और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को छोड़कर पूरा देश खुल जाएगा। 15 अक्टूबर से कन्टेंमेंट जोन के बाहर के सिनेमा हॉल और थिएटरों को आधी क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। भारत में महामारी के संक्रमण से मुक्त होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 51 लाख 87 हजार 525 हो गई है, जिससे स्वस्थ होने की दर 83.33 फीसद पर पहुंच गई है। जाहिर है इससे लोगों में कोरोना का खौफ धीरे-धीरे कम हो रहा है। बहुत दिनों तक घरों में कैद रहने के कारण कुछ लोग अवसाद के शिकार भी हुए हैं। ऐसे लोग अब सिनेमा हॉल और थिएटरों में जाकर अपना मनोरंजन कर पाएंगे।
पिछले कुछ महीनों से न तो कोई फिल्म ही आई है और न ही टीवी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों के ऐसे एपिसोड आ रहे थे, जिनमें दर्शक सीधे रुचि ले सकें। अगस्त महीने के अंत में सरकार की अनुमति के बाद फिल्म निर्माण और धारावाहिकों के निर्माण का कार्य कुछेक प्रतिबंधों के साथ शुरू हो चुका है। कोरोना काल में लोगों को एक बड़ा अभाव खटकता रहा है, जो नई फिल्मों और धारावाहिकों के विस्तार से संबंधित रहा है। अब लोग टीवी पर नये धारावाहिक तो देखने लगे हैं। सिनेमाहॉल और थिएटर खुलने के बाद लोग नई फिल्में और नाटक भी देख पाएंगे जो इन उद्योगों से जुड़े लोगों के साथ दर्शकों के लिए भी सुखद होगा। पंद्रह अक्टूबर के बाद अभिभावकों की सहमति से स्कूलों के खुलने की भी संभावना है। अब पूरा देश खुल रहा है, लेकिन सार्वजनिक व्यवहार में लोगों को सावधानियों का कड़ाई से पालन भी करना होगा क्योंकि कोरोना अभी जिंदा है।
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