पस्त करता अनुमान

Last Updated 25 Sep 2020 05:29:01 AM IST

अनेक अनुमानों का आकलन है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर अगले साल तक सामान्य हो सकती है, लेकिन एक रिपोर्ट ने आशंका जताई है कि जिस तरह से अर्थव्यवस्था में संकुचन आया है, उसे देखते हुए स्थायी रूप से आय में कमी की स्थिति का हमें सामना करना पड़ सकता है।


पस्त करता अनुमान

कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 के दौरान 5.9 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान पहले ही आ चुका है।

इस अनुमान में चेतावनी दी गई कि पुरजोर कोशिश के बाद भी अगले साल के मध्य तक ही अर्थव्यवस्था की स्थिति सामान्य हो सकेगी। लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम रिपोर्ट ने आय में स्थायी रूप से कमी आने की बात कहकर महसूस करा दिया है कि स्थिति बेहद गंभीर है। उससे कहीं गंभीर है, जितनी हम माने बैठे हैं। अंकटाड (व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) की ‘व्यापार एवं विकास रिपोर्ट-2020’ के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था गहरी मंदी का सामना कर रही है। विश्व के तमाम देश महामारी की चपेट में हैं। कहा नहीं जा सकता कि इससे कब तक उबर पाएंगे? अभी तो हालत यह है कि तमाम देशों में आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आ गया है। अंकटाड की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.3 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

असल में अंकटाड ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की जो गंभीर तस्वीर खींची है, वो बेहद निराशाजनक है। रिपोर्ट कहती है कि ब्राजील, भारत और मैक्सिको की अर्थव्यवस्थाओं के पूरी तरह ढह जाने से वैश्विक अर्थव्यवस्था जूझ रही है। घरेलू गतिविधियों के संकुचन के साथ ही इन देशों पर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के कमजोर प्रदर्शन का भी असर पड़ रहा है। अनुमान लगाया गया है कि इस साल व्यापार करीब 20 प्रतिशत घट जाएगा। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह में करीब 40 प्रतिशत और विदेश से धन-प्रेषण में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की कमी आएगी। चूंकि महामारी पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है, इसलिए आने वाले महीनों में भी कोई खास उम्मीद नहीं बंधती। कोई आस्ति नहीं है कि आर्थिक गतिविधियों का सिलसिला कब तक रफ्तार पकड़ पाएगा। हालांकि सरकार पैकेजों के जरिए हर संभव प्रयास कर रही है कि आर्थिक सिलसिला सिरे से थमने न पाए।



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