सराहनीय पहल
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूबे में पर्यटन, लघु एवं कुटीर उद्योग और अन्य कारोबार से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 1350 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।
सराहनीय पहल |
करीब तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर आतंकवाद का दंश झेल रहा है। इसके कारण पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए आर्थिक पैकेज की जो घोषणा की गई है, उसका स्वागत करना चाहिए। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत इस सूबे को प्रदत्त विशेष प्रावधान को समाप्त करने के बाद घाटी में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने में बहुत हद तक सफलता मिली है।
तथ्य और आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं। अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति के बाद राज्य के आर्थिक पुनर्निमाण के लिए आर्थिक पैकेज की आवश्यकता भी थी। आतंकवाद और अलगाववाद की आग अभी ठीक तरह से बुझ भी नहीं पाई है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने सूबे के मझोले और छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ दी है।
इस आर्थिक पैकेज से व्यापारियों को अगले छह महीने तक ऋण पर ब्याज में पांच फीसद की छूट दी जाएगी। ऋण लेने वाले सभी कारोबारियों के लिए अगले साल मार्च तक स्टांप डय़ूटी में छूट की भी घोषणा की गई है। हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र से संबंधित लोगों के क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई है। आम आदमी की विास बहाली और उसे राहत देने के लिए अगले एक वर्ष तक बिजली और पानी के बिलों पर 50 फीसद छूट की घोषणा की गई है।
पिछले 20 वर्षो से नुकसान उठाने वाले ट्रांसपोर्टर, टैक्सी ड्राइवर, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, हाउसबोट के मालिकों और अन्य प्रभावितों को भी इस पैकेज में शामिल किया गया है। वास्तविकता यह है कि अभी जो आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। केंद्र सरकार को सूबे की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी होगी, लेकिन किसी भी बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ शासन तंत्र में जनसहभागिता को बढ़ाने पर भी विचार करना होगा।
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