सरकार पर सवाल

Last Updated 28 Aug 2020 01:13:07 AM IST

कोरोना महामारी के दरम्यान ईएमआई के भुगतान में मोहलत की घोषणा से कर्जदारों को भारी राहत महसूस की थी।


सरकार पर सवाल

इस मसले पर सरकार ने भी खूब वाहवाही लूटी। शुरुआती दौर में कर्जदार समझ ही नहीं पाए कि आखिर, इस फैसले से उन्हें कितना फायदा होगा। हकीकत यह है कि इस  मोहलत के विकल्प से ग्राहकों को बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों की ओर से कोई फायदा नहीं होगा। इस अवधि की ईएमआई पर भी ब्याज पर ब्याज वसूला जाएगा।

इससे कर्जदारों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। वे ब्याज पर ब्याज कैसे चुका पाएंगे? इसी मुद्दे पर सुप्रीम ने सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल पर सवाल दागे हैं। दरअसल, आरबीआई और बैंकों के बीच का मसला बताकर सरकार इस मामले से साफ बचना चाहती है। शीर्ष न्यायालय ने सरकार को इसी मसले पर आड़े हाथों लिया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार सिर्फ घोषणाएं करने तक ही सीमित रह सकती है? लॉकडाउन के दौरान 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का जो कथित राहत पैकेज जारी किया गया है क्या उसकी समीक्षा की जिम्मेदारी करना सरकार का फर्ज नहीं है?

इन सवालों की अनदेखी की गई तो भविष्य में जनता के बीच सरकार की साख धूमिल होना तय है। इसमें कोई दोराय नहीं कि कोरोना संकट की वजह से सरकार की राजस्व वसूली बुरी तरह प्रभावित हुई है लेकिन राहत पैकेज में कर्ज मुहैया कराने की भारी-भरकम राशि को जोड़ना किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। किसी से छिपा नहीं है कि बैंक किसी भी ग्राहक को कर्ज सिर्फ अपनी शतरे पर देते हैं। इसमें सरकार का दखल नहीं रहता। जाहिर है सरकार ने राहत पैकेज घोषित किया है जनता को उसका पूरा लाभ मिल पाएगा, इसमें संशय है।

वह कोरोना से जूझ रही जनता को वाकई में राहत देना चाहती है तो उसे अपने पैकेज की समीक्षा करनी होगी। कर्ज की ईएमआई पर मोहलत का लाभ कर्जदारों को हर हाल में मिलना चाहिए। सरकार इससे अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती। इस अवधि के ब्याज के भुगतान की भरपाई या तो वह स्वयं करे अथवा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यह बोझ बैंकों पर डाल सकती है। उद्योगों के लाखों करोड़ के डूबत कर्ज को सरकार और बैंक वहन करते आए हैं तो महामारी के दौर में आमजन को मामूली राहत देने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment