पाकिस्तान की खुली पोल

Last Updated 27 Aug 2020 12:04:50 AM IST

पुलवामा में पिछले साल 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के करीब 16 महीने की जांच के बाद यह साफ हो गया है कि इस हमले के मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद के सरगना खूंखार आतंकी मसूद अजहर और उसका भाई रऊफ असगर थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस हमले की जांच कर रही है।


पाकिस्तान की खुली पोल

इस जघन्य वारदात में शामिल 19 लोगों के विरुद्ध जम्मू की विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया है। 1 सितम्बर से इस मामले की सुनवाई शुरू होगी। लोगों को याद होगा कि मसूद अजहर वही खूंखार आतंकवादी है, जिसे 1999 में एयर इंडिया के अपहृत विमान आईसी-814 के बंधक यात्रियों को रिहा करने के बदले में छोड़ा गया था। एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच पड़ताल के दौरान इस बात के पुख्ता, तकनीकी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य मिले हैं कि हमले की साजिश में पाकिस्तान का हाथ है।

पुलवामा हमले और उसके बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक भारत-पाकिस्तान के बीच केवल छिटपुट संघर्ष नहीं था बल्कि बड़े पैमाने पर युद्ध छेड़ने की आशंका पैदा हो गई थी। अमेरिका, सऊदी अरब, रूस और चीन की ओर से पाकिस्तान पर डाले गए भारी दबाव का ही नतीजा था कि युद्ध का खतरा भले टल गया लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध पटरी पर से पूरी तरह उतर गए। पाकिस्तान की विदेश नीति और वहां का शासन तंत्र भारत विरोध और इस्लामी राज्य की विचारधारा पर टिका हुआ है। इस पृष्ठभूमि में यदि पुलवामा हमले के सिलसिले में मसूद अजहर पर लगे आरोप सिद्ध हो भी गए तो पाकिस्तान इसे सिरे से खारिज कर देगा। 26/11 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बारे में हमें देखने को ऐसा ही मिला है।

संयुक्त राष्ट्र ने हाफिज सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था, लेकिन पाकिस्तान की अदालत से वह छूट गया और आज वह खुलेआम घूम रहा है तथा भारत विरोधी गतिविधियां चलाता रहता है। फिर भी एनआईए को अपनी ओर से पूरी कोशिश करनी चाहिए कि मसूद अजहर के विरुद्ध लगाए गए आरोप न्यायालय में सिद्ध हो सकें। ऐसा होने पर कम-से-कम अंतरराष्ट्रीय मंचों और दूसरे देशों पर पाकिस्तान के विरुद्ध दबाव बनाने का माहौल बन सकता है। दुनिया के बदलते समीकरणों को देखते हुए पाकिस्तान को चाहिए कि वह मसूद जैसे आतंकियों के खिलाफ सख्ती से पेश आए।



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