जगी इंसाफ की आस
तमाम अटकलबाजियों पर विराम लगाते हुए सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच करने का आदेश सीबीआई को दे दिया।
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35 पन्नों के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि, ‘सुशांत सिंह राजपूत मुंबई फिल्मी दुनिया के टैलेंटेड एक्टर थे अपनी पूरी सामथ्र्य साबित करने से पहले ही उनकी मौत हो गई। उनका परिवार, दोस्त और चाहने वाले जांच के नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ताकि सारे कयासों पर विराम लग सके’।
अदालत की यह टिप्पणी यह बताने को काफी है कि इस मामले में सच का बाहर आना कितना अहम है। इस केस की जांच सीबीआई नहीं, बल्कि मुंबई पुलिस ही करे, इस तर्क में कई छेद थे, जिसे सर्वोच्च अदालत बखूबी जान रही थी। यही वजह है कि शीर्ष अदालत ने रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिहार सरकार का सीबीआई से मामले की जांच का अनुरोध करना उचित था। फैसला सुनाते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा कि पटना में एफआईआर दर्ज होना भी कानूनी रूप से सही था। मुंबई पुलिस ने इस पूरे मामले में जिस तरह काम किया, वो गैर-कानूनी थी।
यह पहला वाकया है, जहां ऐसे किसी मामले में तफ्तीश को लेकर दो राज्य सरकारों के बीच तलवारें खिंची हों। यहां तक कि पूरा मसला एक झटके में राजनीतिक रंग लेता भी दिखा। निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की अनुशंसा पर मुहर लगाकर यह सिद्ध कर दिया कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले की जांच अनमने ढंग से कर रही थी और कहीं-न-कहीं इस केस को दूसरी दिशा की ओर ले जाने की साजिश चल रही थी। अब जबकि शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुना दिया है, मामले की निष्पक्ष जांच की उम्मीद परवान चढ़ती दिखती है।
अब सीबीआई की टीम मुंबई जाएगी और मुंबई पुलिस से केस डायरी, सभी गवाहों और संदिग्धों के बयान, फॉरेंसिक और ऑटोप्सी रिपोर्ट की मांग करेगी। तमाम प्रतिकूल हालात को देखते हुए सीबीआई को कई चुनौतियों से रू-ब-रू होना पड़ सकता है। मुंबई पुलिस कितनी ईमानदारी से जुटाए गए तथ्यों को सीबीआई को सौंपती है, यह देखना भी महत्त्वपूर्ण होगा, लेकिन इतना तो तय है कि शीर्ष अदालत के निर्णय से न केवल सुशांत के घरवालों के मन में न्याय की आस बलवती हुई है, वरन देशवासियों का भी न्यायपालिका पर भरोसा पुख्ता हुआ है। उम्मीद जगी है कि झूठ जरूर बेनकाब होगा।
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