सच आए सामने
कोझिकोड हवाई अड्डे पर शुक्रवार की शाम एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। अब तक इसमें 18 लोगों की मौत हो चुकी है।
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दुर्घटना के बाद जैसा कि आम तौर पर होता है, इस बार भी वैसा ही करीब-करीब होता दिख रहा है। चीख-पुकार के बीच राहत और बचाव का कार्य हुआ, मुआवजा राशि की भी घोषणा हो चुकी है। इन सबके बीच दुर्घटना के कारणों का पता लगाने की कवायद भी शुरू हो चुकी है, साथ ही उस पर होने वाली राजनीति भी।
विमान का ब्लैक बॉक्स मिल चुका है। इसमें दर्ज विभिन्न प्रकार के आंकड़ों से दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन राजनीति और समाज के पास इतना धैर्य नहीं होता कि वह जांच रिपोर्ट का इंतजार करे, वह तो तुरत-फुरत विलेषण शुरू कर देता है। यही कारण है कि नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी को कहना पड़ा कि विमान हादसे के तथ्यों का पता लगाए बिना इस घटना के बारे में सवाल उठाना गलत है। पुरी की इस बात से सहमत हुआ जा सकता है कि कोझिकोड हवाईअड्डा ऑपरेटर ने विमान नियामक डीजीसीए द्वारा नियमित रूप से उठाए जाने वाले मुद्दों जैसे रबर का जमा होना, पानी का प्रवाह अवरूद्ध होना, हवाई पट्टी पर दरार पड़ना आदि का समाधान किया है।
इस आधार पर कहा जा सकता है कि डीजीसीए द्वारा पिछले साल हवाई अड्डा निदेशक को जारी कारण बताओ नोटिस को तवज्जो देना उचित नहीं है। बहरहाल, दुर्घटना के कारणों पर अभी कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी भरा कदम होगा, इसके बावजूद इस घटना के संदर्भ में कुछ ऐसे सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हादसा तकनीकी कारणों से हुआ या मानवीय भूल से, अभी कहना कठिन है, लेकिन एक बात साफ तौर पर दिखाई पड रही है कि विमान रनवे से बाहर चला गया था। क्या भारी बारिश के कारण दृश्यता खराब थी, जिसकी वजह से विमान रनवे पर उपयुक्त जगह पर उतरने के बजाय कुछ आगे उतरा?
अगर विमान उपयुक्त जगह पर रनवे पर उतरता, तो क्या यह हादसा नहीं होता? अगर रनवे और लंबा होता, तो क्या इन सबके बावजूद दुर्घटना से बचा नहीं जा सकता था? तब सवाल यह भी उठ रहा है कि रनवे का विस्तार क्यों नहीं किया गया? अगर इसके पीछे कोई राजनीति है, तो इंसानी जान की परवाह कौन करेगा? ऐसे ही अन्य सवाल हैं, जिनका उत्तर खोजा जाना है, क्योंकि दुर्घटना किसी एक कारण से नहीं होगी।
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