बढ़ेगी बेशुमार ताकत

Last Updated 29 Jul 2020 12:48:41 AM IST

जिसका एक अरसे से इंतजार था, आखिरकर वह घड़ी आ गई। युद्धक विमान राफेल फ्रांस से चलकर भारत की धरती पर बुधवार को उतर जाएगा।


बढ़ेगी बेशुमार ताकत

वैसे पिछले साल बालाकोट की घटना के समय ही राफेल की कमी महसूस की गई थी, लेकिन लद्दाख में चीन के साथ उलझाव की स्थिति में अब इसकी महत्ता बढ़ गई है। जब पाकिस्तान स्थित बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना ने कार्रवाई की थी, तब अगर उस समय राफेल होता तो वहां ज्यादा नुकसान होता। यही नहीं, बाद में जब पाकिस्तानी वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई की, तब भी इसकी कमी खली थी। बहरहाल, अब जब राफेल भारतीय वायु सेना में शामिल हो जाएगा, तब उसकी मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी।

राफेल चौथी-पांचवीं पीढ़ी के बीच का एक बहुउद्देशीय युद्धक विमान है, जो एक साथ कई भूमिकाओं का निर्वाह करने में सक्षम होगा। यह मेटयोर, स्कैल्प जैसी मिसाइलों से लैस होगा, जो हवा के साथ-साथ जमीन पर भी मार करने में सक्षम होंगी। खास बात यह है कि इन मिसाइलों की रेंज इतनी अधिक है कि दुश्मन के विमान इसके सामने बचाव की मुद्रा में होंगे। यह विमान समतल भूमि के अलावा पहाड़ी और ठंडे इलाकों के लिए भी उपयुक्त होगा। इसका मतलब यह हुआ कि चीन के खिलाफ इसकी उपयोगिता अहम होगी।

हालांकि चीन का जे-20 पांचवीं पीढ़ी का युद्धक विमान है, लेकिन अपनी हथियार और सेंसर प्रणाली जैसी खासियतों के कारण यह उस पर भारी पड़ेगा। दरअसल, इसमें भारत की जरूरतों के मुताबिक करीब दर्जन भर बदलाव किए गए हैं। यही कारण है कि दुनिया के दूसरे देशों में संचालित राफेल से यह ज्यादा घातक है। इसके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि इससे भारतीय वायु सेना की जरूरतें पूरी हो जाएंगी। अगर पाकिस्तान और चीन के साथ दो सीमाओं पर युद्ध छिड़ा, तो भारत को काफी संख्या में लड़ाकू विमानों की जरूरत पड़ेगी।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले वर्षो में हथियारों की खरीद पर राजनीति हुई, जिससे सेना का आधुनिकीकरण प्रभावित हुआ। राफेल भी इस राजनीति का अपवाद नहीं रहा। अगर हल्के लड़ाकू विमानों की बात छोड़ दी जाए, तो सुखोई के बाद राफेल ऐसा दूसरा विमान है, जो भारतीय वायु सेना को मिल रहा है। कोई आश्चर्य नहीं कि अब राजनीतिक दलों में राफेल को लेकर श्रेय लेने की होड़ मचे।



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