चीन के विरुद्ध एकमत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक से चीन एवं दुनिया को यह संदेश दे दिया गया कि भारतीय जवानों के साथ षड्यंत्रपूर्वक किए गए बर्बर और असभ्य व्यवहार के खिलाफ पूरा देश एकजुट है।
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प्रधानमंत्री के समापन भाषण के लाइव प्रसारण से देश को आश्वासन मिला कि चीन ने भारतीय क्षेत्र का एक इंच भी नहीं कब्जाया और न किसी भारतीय पोस्ट को। इसके साथ उन्होंने सेना को खुली छूट देने की घोषणा कर चीन को बता दिया कि आप जिस स्तर पर चाहेंगे उस स्तर पर आपको जवाब दिया जाएगा।
वास्तव में भारत जैसे देश में इतने सघन राजनीतिक मतभेदों के बावजूद सर्वदलीय बैठक में शामिल 20 में से 17 दलों का सरकार से प्रश्न पूछने की बजाय चीन के खिलाफ एकता दर्शाना ऐसी घटना है, जिसकी उम्मीद हमारे दुश्मनों को कतई नहीं रही होगी। कांग्रेस के नेता जिस तरह का प्रश्न लगातार उठा रहे थे या उठा रहे हैं; उससे यह माहौल अवश्य बना था चीन से निपटने को लेकर भारत में एकता नहीं है और चीनी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने राहुल गांधी और कांग्रेस की चर्चा भी की।
किंतु सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा प्रश्नों की बौछार को जिस तरह भाजपा और मोदी विरोधी नेताओं ने ही अनुचित करार दे दिया; उसके बाद से चीन की यह गलतफहमी दूर हो गई होगी कि राजनीतिक रूप से बंटा भारत उनसे मुकाबला नहीं कर सकता एवं भारत को दबाव में लाने की उनकी रणनीति सफल हो जाएगी। हालांकि सोनिया गांधी और कांग्रेस को भी कहना पड़ा कि वे सेना के साथ हैं। इस मायने में कहा जा सकता है कि सर्वदलीय बैठक के साथ भारत की चीन नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव आ गया है।
अगर प्रमुख दलों के नेता कह रहे हैं कि दूरगामी नीति बनाकर चीन को ऐसा जवाब दिया जाए, जिससे आगे वह इस तरह की हिमाकत न करे तो इसके व्यावहारिक मायने साफ हैं। इसी तरह सभी नेता यदि चीन को आर्थिक आघात पहुंचाने पर एकमत हैं तो वे अपने यहां चीनी सामग्रियों के प्रयोग को जितना संभव है हतोत्साहित करेंगे। सेना को खुली छूट का मतलब है कि अभी तक पिछली सरकारों द्वारा सीमा पर शांति एवं विास बहाली उपायों के तहत सैनिकों के व्यवहार के संदर्भ में किए गए फैसलों के पालन के लिए भारत एकतरफा जिम्मेवारी नहीं निभाएगा। आवश्यकता के अनुसार सेना अब हथियार लेकर भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाएगी एवं उपयोग करेगी।
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