अनलॉक-2 की तैयारी
मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ तौर पर कहा कि देश अब ‘खुलने के फेज’ में है।
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हमें अब अनलॉक के दूसरे चरण के बारे में सोचना होगा और यह भी विचार करना होगा कि हमारे लोगों को नुकसान की कम-से-कम आशंका रहे यानी उनका इशारा साफ तौर पर लॉकडाउन से निकलकर अनलॉक फेज-2 की तरफ बढ़ने की ओर था। स्वाभाविक तौर पर यह बिल्कुल उचित निर्णय है।
अर्थव्यवस्था की नित गिरती हालत को देखते हुए अब देश में तालाबंदी के बजाय आहिस्ता-आहिस्ता फैक्टरी, बाजार और अन्य प्रतिष्ठान खोलने ही होंगे। अब ‘अनलॉक-2’ के बारे में और कोरोना संक्रमण को भी कम-से-कम रखने के तरीकों के बारे में सोचना होगा। यह वास्तविकता है कि कोरोना का फैलाव कुछ बड़े राज्यों और शहरों में बढ़ा है। फिर भी देशवासियों के संयम, अनेक जगहों पर प्रशासन की तत्परता और हमारे कोरोना योद्धाओं के समर्पण की वजह से हालात को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने दिया गया है। अनलॉक 1.0 के दो हफ्ते बीत चुके हैं।
और इससे प्राप्त अनुभवों का इस्तेमाल आने वाले समय में बेहद महत्त्वपूर्ण साबित होगा। देखना होगा राज्यों के मुख्यमंत्री किस तरह का निर्णय लेते हैं। उनके सुझाव कोरोना को हराने में बेहद निर्णायक साबित होंगे। अच्छी बात यह है कि प्रधानमंत्री ने हर स्तर पर संवाद बनाए रखा। मुख्यमंत्रियों की सुनना और अपनी बात भी सलीके से रखना, निश्चित तौर पर देशवासियों के लिए मुफीद साबित हुआ। करीब तीन महीने की बंदी से उबरना किसी भी देश के लिए आसान नहीं है। भारत जैसे देश के लिए यह काम इसलिए भी दुष्कर है क्योंकि यहां बड़ी आबादी छोटे शहरों और काफी मुश्किल हालात में जीवन-यापन करती है। प्रवासियों की बड़ी तादाद और उनके हाथों को काम देना टेढ़ी खीर है।
इसके बावजूद जिस समझदारी और सतर्कता के साथ सरकार ने तालाबंदी के समय जनता को तकलीफ नहीं होने दी, यह वाकई प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री का यह कहना बिल्कुल युक्तिसंगत है कि जीवन की रक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं को और उन्नत और चुस्त-दुरुस्त रखने के वास्ते काफी कुछ करने की दरकार है, इसके बावजूद बाकी देशों की तुलना में कम मृत्यु दर हमारे लिए राहत का सबब भी है। कुल मिलाकर अब सभी लोगों को अनलॉक-2 की दिशा में कदम बढ़ाना है।
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