अब आयोग का गठन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का माइग्रेसन कमीशन यानी प्रवासन आयोग के गठन का आदेश राज्य से दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए मजबूरी में हो रहे पलायन को रोकने या कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
अब आयोग का गठन |
इसके साथ उनकी यह घोषणा भी महत्त्वपूर्ण है कि अगर किसी राज्य को फिर से हमारे राज्य के कामगार चाहिए तो उनकी सरकार से बात करनी होगी तथा उसके सभी अधिकार सुरक्षित करने होंगे। कोविड 19 के कारण उत्पन्न हुई या पैदा की गई स्थितियों के कारण दूसरे राज्यों में कार्यरत कामगारों की मजबूरी में वापसी ने केवल उत्तर प्रदेश नहीं देश के सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा किया है।
आखिर जिन राज्यों में ये वापस आए वहां इनके जीविकोपार्जन की कुछ व्यवस्था तो होनी चाहिए। इनकी संख्या काफी है। उत्तर प्रदेश में 24 मई तक 23 लाख श्रमिक वापस आ चुके थे। इनकी संख्या काफी बढ़ेगी। मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि राज्यों में इसी तरह काफी संख्या में कामगार वापस आ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की पहल इन सारे राज्यों के लिए दिशादर्शक हो सकती है। प्रवासन आयोग का अर्थ है कि वह सारे वापस आए श्रमिकों की स्किल मैपिंग कर डाटा तैयार करेगा।
उसके आधार पर तय किया जाएगा कि किसको किस तरह के रोजगार में लगाया जा सकता है। योगी ने स्वयं कहा कि कृषि से जुड़ी गतिविधियों एवं डेयरी के क्षेत्र में काफी रोजगार पैदा हो सकते हैं। योगी का यह कहना सही है कि ये कामगार संसाधन हैं। वास्तव में मनुष्य अब भार नहीं संसाधन है। मूल बात है उनका उपयोग करना। एक बड़ी समस्या आवास की है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आर्थिक पैकेज में श्रमिकों के लिए कम किराए पर आवास की व्यवस्था संबंधी प्रावधान का उपयोग कर इस दिशा में सफलता पाई जा सकती है।
उम्मीद करनी चाहिए कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आयोग के गठन तथा उसकी गतिविधियां तुरत आरंभ होगी। इसी तरह दोबारा किसी राज्य को श्रमिक चाहिए तो अब राज्य सरकार उनसे अपने श्रमिकों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कराएगी। यह अच्छा ही होगा, क्योंकि मजबूरी में रोजगार के लिए बाहर गए लोगों को नियोक्ताओं की शतरे पर काम करना होता है और वे कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हैं। इनसे निजात मिल जाए तो वे मानवीय जीवन जी सकेंगे।
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