स्वीकार नहीं रेटिंग
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने वर्तमान वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि शून्य रहने की जो संभावना व्यक्त की है उसे आंख मूंदकर स्वीकार करना मुश्किल है।
![]() स्वीकार नहीं रेटिंग |
आखिर अन्य एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में किसी ने भी ऐसी संभावना व्यक्त नहीं की है। कोरोना प्रकोप का असर अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक पड़ेगा किंतु यह कितना होगा इसका निश्चयात्मक अनुमान कैसे लगाया जा सकता है? ‘भारत सरकार बीएए 2 नकारात्मक’ शीषर्क से जारी अपने वक्तव्य में मूडीज कह रहा है कि भारत की सावरेन रेटिंग का नकारात्मक परिदृश्य से उसकी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर पहले के मुकाबले काफी कम रहने के जोखिम को दर्शाता है।
ठीक है, लेकिन इसके साथ कहना सही नहीं कि यह परिदृश्य आर्थिक व संस्थागत दिक्कतों को दूर करने के मामले में कमजोर नीतिगत प्रभावों को भी बताता है। उसने एक आधार में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण ऊंचे सरकारी ऋणों, कमजोर सामाजिक व भौतिक बुनियादी ढांचा तथा नाजुक वित्तीय क्षेत्र को आगे और दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसा लगता है जैसे मूडीज जान-बूझकर भारत की रेटिंग गिराने की नीति पर चल रहा हो। इसने नवम्बर 2019 में ही भारत की रेटिंग परिदृश्य स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया था। हालांकि रेटिंग को बीएए 2 पर बनाए रखा था। बीएए 2 निवेश ग्रेड की रेटिंग है, जिसमें हल्का ऋण जोखिम होता है। पहले आप रेटिंग गिराते हैं और फिर कह रहे हैं कि भारत की क्रेडिट रेटिंग के नकारात्मक परिदृश्य से पता चलता है कि जीडीपी की वृद्धि दर पहले की तुलना में काफी कम रहने वाली है।
हम मानते हैं कि कोरोना झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ाएगा तथा राजकोषीय घाटे को कम करने की संभावनाएं कमजोर होंगी। किंतु इससे विकास दर शून्य पर पहुंच ही जाएगा इसके पक्ष में मूडीज का कोई ठोस तर्क नहीं है। यही मूडीज यह भी कह रहा है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। शून्य से एकाएक 6.6 प्रतिशत कैसे हो जाएगा अगर नीतिगत कमजोरियां हैं तो? वैसे मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा ने इस महामारी के कारण वृद्धि दर में दो प्रतिशत की गिरावट की आशंका व्यक्त की है।
Tweet![]() |