बड़ी सफलता

Last Updated 08 May 2020 12:16:18 AM IST

कश्मीर में सुरक्षा बलों के विशेष अभियान में चार आतंकवादियों का मारा जाना आतंकवाद विरोधी अभियान की बड़ी सफलता है।


बड़ी सफलता

हाल में दो मुठभेड़ों में आठ जवानों की मौत से दुखी देश को इस सूचना से राहत मिली है। इसमें हिज्बुल मुजाहीद्दीन के शीर्ष कमांडर रियाज नाइकू का मारा जाना सुरक्षा बलों की ऐसी उपलब्धि है जिसका असर पूरे प्रदेश के आतंकवाद पर पड़ेगा। बुरहान वानी समूह का नाइकू जुलाई, 2017 से हिज्बुल के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका में था।

बुरहान की तरह ही आतंकवादियों के लिए पोस्टर ब्वॉय बन गया था। ऑडियो-वीडियो में अपनी बात रखने के उसके तरीकों से युवा आतंकवाद की ओर आकर्षित हो जाते थे। उसके नाटकीय अंदाज से लोगों को लगता था कि वह उनके लिए ही लड़ रहा है। इस कारण उसने अपने प्रत्यक्ष तथा परोक्ष समर्थक भी पैदा कर लिए थे। वह ऐसा आतंकवादी था जिसने पुलिस वालों के परिवारों के अपहरण से लेकर उनकी हत्या को अपनी मुख्य रणनीति के तौर पर अपनाया। उसने आह्वान किया कि जम्मू कश्मीर के लोग पुलिस की नौकरी छोड़ दें।

ऐसा न करने पर उसने अभियान चला दिया था। इस कारण उसकी मौत प्रदेश की पुलिस के लिए जश्न का कारण बन गया है। जिस तरह उसे उसके पैतृक गांव में ही घेर कर मारा गया उससे यह भी पता चलता है कि सुरक्षा बलों का खुफिया तंत्र पहले से बेहतर हुआ है। इसी तरह पुलवामा के ही दूसरे स्थान पर एक गांव में ही दो आतंकवादी मारे गए। इससे चार दिनों पूर्व हंदवाड़ा में लश्कर-ए-तैयबा का उच्च कमांडर हैदर भी मारा गया था। वह पाकिस्तानी था तथा लश्कर के ऑपरेशन के लिए रीढ़ की हड्डी था। ऐसे आतंकवादियों के खात्मे का असर व्यापक रूप से पड़ता है। हालांकि नाइकू की मौत के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया, उनकी गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई।

यह चिंताजनक है, क्योंकि ऐसी घटनाएं अतीत की बात हो गई थीं। जाहिर है, यह प्रवृत्ति आगे न बढ़े इसके लिए विशेष उपाय किए जाने की जरूरी हैं। सुरक्षा बलों की सफलता पर हम कोई प्रश्न उठाना नहीं चाहते पर आतंकवाद के अंत के लिए दूसरे पहलुओं का ध्यान रखना भी जरूरी है। जिस तरह घुसपैठ बढ़ी है तथा आतंकवादी हाल के दिनों में फिर हमले करने लगे हैं, उससे आंशका बढ़ रही है कि कहीं जुलाई, 2019 के पहले की स्थिति पैदा न हो जाए।



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