सुप्रीम सैल्यूट
देश विदेश के समाजविज्ञानियों का यह विास है कि उत्तर-कोरोना की दुनिया वैसी नहीं होगी जैसी की आज है।
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लेकिन इसकी शुरुआत तो अभी से हो चुकी है। इसका एक सकारात्मक और खूबसूरत नजारा हमें बीते रविवार को दिखाई दिया। कोरोना विषाणु महामारी के विरुद्ध जंग लड़ रहे देश भर के लाखों चिकित्सकों, परा-चिकित्सकों, सफाईकर्मियों और अग्रिम मोच्रे पर काम कर रहे कर्मचारियों को सैन्य बलों ने अनूठे अंदाज में अभिनंदन किया। इस राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत वायुसेना के लड़ाकू और परिवहन विमानों ने बड़े शहरों और नगरों के ऊपर फ्लाईपास्ट किया। सैन्य हेलिकाप्टरों ने प्रमुख अस्पतालों पर आकाश से पुष्प वष्रा की। इस दौरान थल सेना के बैंडों ने प्रमुख अस्पतालों के सामने देशभक्ति की धुनें बजाई। शाम को विभिन्न समुद्र तटीय इलाके नैसेना के युद्धपोतों द्वारा की गई रोशनी से जगमगा उठीं।
आजाद भारत के इतिहास में शायद यह पहला अवसर होगा, जब देशवासियों को इस तरह का अद्भुत नजारा देखने को मिला। सैन्य बलों ने कोरोना विषाणु जैसे अदृश्य शत्रु के विरुद्ध जंग लड़ने वालों को अनूठे अंदाज में सलामी देकर वास्तव में एक नई परंपरा की शुरुआत की है। सेना के इस अनूठे और नई परंपरा का देशवासियों ने बढ़-चढ़कर स्वागत किया है। सेना ने जिस भव्यता के साथ कोरोना महामारी के विरुद्ध अग्रिम मोच्रे पर लड़ने वाले चिकित्साकर्मियों, सफाईकर्मियों और पुलिसकर्मियों का अभिनंदन किया है, इसका उनके ऊपर बहुत ही सकारात्मक असर पड़ा है।
पिछले दिनों चिकित्सकों, परा-चिकित्सकों और पुलिसकर्मियों पर अनवरत हमले हुए हैं। इंदौर, भोपाल, मुरादाबाद, मेरठ सहित कई शहरों में इन पर जानलेवा हमले हुए। जाहिर है ये हमले चिकित्साकर्मियों के मनोबल को तोड़ रहीं थीं। अपेक्षा की जाती है कि सेना ने कोरोना योद्धाओं को जिस तरह से सलामी देकर उनका अभिनंदन किया है, उससे उनके आहत मन को मरहम लगी होगी। सेना ने अपने अभिनंदन से उनके मन में उत्साह भरने का प्रयास किया है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने जनता कर्फ्यू के दौरान कोरोना योद्धाओं के सम्मान में ताली और थाली बजाने का आह्वान करके इसकी शुरुआत की थी। सेना ने प्रधानमंत्री के इस कार्य को और विस्तार दिया है। ऐसी परंपराएं आगे भी जारी रहनी चाहिए।
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