धैर्य दिखाएं केजरीवाल

Last Updated 04 May 2020 01:37:49 AM IST

कोरोना महामारी को लेकर दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत एक दुष्चक्र में फंस गया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें दोनों का लक्ष्य समान है।


धैर्य दिखाएं केजरीवाल

एक तरफ कोरोना से लोगों की जान बचानी है तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाना है। लेकिन विडंबना है कि हाल-फिलहाल दोनों लक्ष्यों को एक साथ साधना बहुत बड़ी चुनौती है। केंद्र और राज्य सरकारों के सामने अग्निपरीक्षा यह है कि जान और जहान दोनों के बीच सामंजस्य कैसे बैठाई जाए।

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर यह कह रहे हैं कि कोरोना वायरस महामारी का सबसे बुरा दौर गुजर चुका है। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजधानी के बाजारों को ऑड-ईवन व्यवस्था के तहत खोलने का समर्थन कर रहे हैं। वह इससे भी आगे जाकर राजधानी में परिवहन व्यवस्था को भी आंशिक तौर पर शुरू करने के पक्षधर हैं। वास्तव में लॉक-डाउन से कोरोना विषाणु के संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली है और इसके जरिये हम हजारों लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने में सफल हुए हैं। लेकिन लॉक-डाउन की भी अपनी सीमाएं हैं।

इसे कठोरता के साथ लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या रेड जोन में शामिल किए गए दिल्ली के बाजारों को खोलने का सही समय आ गया है? पिछले दो-तीन दिनों से दिल्ली में कोरोना का मामला तेजी से बढ़ा है, जो किसी भी कीमत पर बाजारों को खोलने की अनुमति नहीं देता है। दिल्ली के कापसहेड़ा की एक इमारत में 41 लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया।

पिछले 18 अप्रैल को इस इमारत में रहने वाली एक गर्भवती महिला कोरोना से संक्रमित पाई गई थी। इसी तरह देश के सबसे बड़े अर्धसैन्य बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की दिल्ली स्थित एक बटालियन में कोरोना संक्रमित जवानों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है। पिछले सप्ताह 55 साल के एक सब इंस्पेक्टर की कोरोना से मौत हो गई थी। बीते शनिवार को दिल्ली में संक्रमण के 384 नये मामले सामने आए, जो दिल्ली का एक दिन में सर्वाधिक है। दिल्ली की इस स्थिति को देखते हुए केजरीवाल को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। कम-से-कम लॉक-डउन के तीसरे चरण तक किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की पहल न करें। आखिर जान है तो जहान है।



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