विश्व मानवता का संकट
दुनिया को भी इस तरह की भयावह महामारी के प्रकोप की कल्पना नहीं रही होगी। ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया के नियंत्रण से कोरोना परिवार का कोविड 19 वायरस बाहर जा रहा है।
विश्व मानवता का संकट |
हर दिन संक्रमितों और मृतकों की संख्या में हो रहा इजाफा एक-एक व्यक्ति को भयाक्रांत किए हुए है। संक्रमितों की संख्या सात लाख तक पहुंच रही है तथा 31 हजार के आसपास लोगों की जान इस महामारी ने ले ली है। एक लाख 42 हजार से ज्यादा के स्वस्थ होने का भी आंकड़ा है, लेकिन इसमें 80 हजार से ज्यादा का दावा चीन का है, जिस पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता। इसका सबसे डरावना पहलू यह है कि संक्रमितों एवं मृतकों की ज्यादा संख्या विकसित देशों यानी यूरोप एवं अमेरिका से आ रही है, जिनकी स्वास्थ्य प्रणाली को उत्कृष्टतम माना जाता है। केवल यूरोप में मौतों का आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा हो गया है।
अमेरिका में 2200 से ज्यादा लोगों की मौत तथा एक लाख 23 हजार से ज्यादा के संक्रमित होने की कल्पना कौन कर सकता था? ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं राजकुमार चार्ल्स का इसकी चपेट में आना ही प्रमाणित करता है कि कोरोना वायरस की जद में सबसे सुरक्षित मान जाने वाले भी आ सकते हैं। आधुनिक मानवता के इस गंभीर संकट में सबके सामने एक ही प्रश्न है कि इस महामारी को काबू में कैसे लाया जाए? दुनिया भर के डॉक्टर एवं वैज्ञानिक काम कर रहे हैं पर अभी तक कहीं से सफलता की सूचना नहीं है।
तात्कालिक चुनौतियां तीन हैं-संक्रमण के विस्तार को रोकना, जो संक्रमित हो गए उनको ठीक करना तथा ठीक हो जाने वाले दोबारा संक्रमित न हों, इसकी व्यवस्था करना। इसके बाद स्थान है, भविष्य में संक्रमण न हो, इसके लिए टीका विकसित करने का। आरंभ की तीनों चुनौतियों का विकसित देश ही सामना नहीं कर पा रहे तो गरीब और विकासशील देशों की बिसात ही क्या है।
टीका के क्षेत्र में प्रगति हुई है, लेकिन उसकी आम उपलब्धता में एक वर्ष तक का समय लग सकता है। चाहे स्थिति जितनी विकराल है; मगर एक उम्मीद भी है। पूरी दुनिया को साहस के साथ एक दूसरे की त्रासदी में सांत्वना देते, संवेदनशीलता बरतते एवं जितना सहयोग बन पड़े करते हुए खतरे का सामना करना है। निकट भविष्य में हम इस प्रकोप को पराजित करेंगे, मानवता संकट से उबरेगी।
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