संवेदनहीनता का चरम

Last Updated 16 Mar 2020 12:14:43 AM IST

दिल्ली में कथित तौर पर कोरोना वायरस के संक्रमण से दम तोड़ गई बुजुर्ग महिला के शव दाह पर जैसी असंवेदनशीलता निगम बोध घाट पर दिखाई गई, वह किसी भी रूप में जायज नहीं कही जा सकती।


संवेदनहीनता का चरम

यह सही है कि कोरोना का आतंक चारों ओर पसरा हुआ है और सावधानियां बरतना बेहद जरूरी भी है। लेकिन किसी भी तरह की असंवेदशीलता हमें बतौर देश और समाज इस महामारी से लड़ने में कमजोर ही करेगा।

अगर हम पूरी संवेदना के साथ एकजुट होकर हर तरह की सावधानियां बरतें तो शायद महमारी को जल्दी और आसानी से हराया जा सकेगा। बेशक, बाद में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ, लेकिन उसके लिए उच्चपदस्थ सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी। यह सरकारी लापरवाही की ओर भी इशारा करता है। सरकार को बाकी सावधानियां बरतने के साथ यह भी दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए था कि मौत हो जाने पर अंतिम संस्कार कैसे और कहां किया जाए? अगर यह पहले से ध्यान रखा जाता तो ऐसी असंवेदनशील घटना से हमें शर्मिदा नहीं होना पड़ता।

हालांकि बाद में दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बाकायदा यह बताया कि मौत हो जाने के बाद शव को कैसे सुरक्षित अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाए और कैसे संस्कार संपन्न किया जाए? उन्होंने यह भी कहा कि अगर शरीर से कोई रिसाव नहीं होता है तो कोई खतरा नहीं है। यह भी काबिलेतारीफ है कि डॉक्टर बिरादरी बड़े संजीदा ढंग से इस महामारी के खिलाफ जंग में जुटी हुई है। अगर सरकारी तंत्र लापरवाही करती है और सभी तरह की आशंकाओं को दूर करने के लिए उचित प्रबंध नहीं करती है तो तय मानिए कि इस लड़ाई में हम नहीं ठहर पाएंगे।

इसलिए यह जरूरी है कि सरकार जितनी तरह की आशंकाएं और संभावनाएं हो सकती हैं सब पर निरंतर विचार करे और उचित प्रबंध करे। सरकारी तंत्र सक्रिय भी है और उसमें हर तरह की सभा गोष्ठियों और लोगों के जमावड़े को रोकने के लिए सिनेमा हाल, मॉल वगैरह तक बंद करने के निर्देश दिए हैं। स्कूल, कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं और इलाज की तन्हाई इंतजामात भी किए गए हैं, लेकिन जांच के लिए पर्याप्त किट की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है। सबसे बढ़कर यह है कि किसी भी तरह की कोताही और असंवेदनशीलता इस दौर में बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।



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