बात करे शाहीन बाग

Last Updated 19 Feb 2020 04:53:03 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने शाहीन बाग में जारी धरना प्रदर्शन के विरुद्ध याचिका पर एक अच्छी पहल की और बिना किसी कड़ाई के सहानुभूतिपूर्ण रुख अख्तियार किया।


बात करे शाहीन बाग

हालांकि अदालत ने साफ किया कि सार्वजनिक स्थल या आम रास्ते को रोककर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र में सरकार के किसी कानून या फैसले के विरुद्ध धरना प्रदर्शन करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

शीर्ष अदालत ने इसकी तस्दीक करते हुए यह भी कहा कि लोगों के प्रदर्शन करने के अधिकार और सड़क का इस्तेमाल करने वाले लोगों के अधिकार के बीच संतुलन भी होना चाहिए। जाहिर है, मौलिक अधिकार असीमित नहीं है। असीमित मान लिया जाए तो समाज अराजक हो सकता है। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट बीच का कोई रास्ता निकालना चाहता है। इसके लिए उसने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला को नियुक्त किया है। तीनों लोग निष्ठावान, निष्पक्ष और बड़ी शख्सियत हैं।

उम्मीद की जानी चाहिए कि इनकी बातचीत से कोई सौहार्दपूर्ण हल निकलेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शाहीन बाग की प्रतिक्रिया बहुत ज्यादा आस बंधाने वाली नहीं हैं। प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट का निर्देश मानने को तैयार नहीं हैं। लेकिन तीनों वार्ताकार जब प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करेंगे तो पूरी संभावना है कि उनका रुख बदलेगा और उनका आंदोलन समाप्त होगा। आंदोलन समाप्त नहीं होगा, तब भी अपेक्षा करनी चाहिए कि आंदोलन स्थल बदलेगा जिससे आम रास्ता बाधित न हो और आम लोगों को कठिनाइयां न हों।

या, फिर बीच का कोई ऐसा रास्ता निकल पाएगा जिससे आंदोलन स्थल भी न बदले और आवागमन भी बाधित न हो। इस समय आंदोलन में काफी लोग शिरकत कर रहे हैं। यह भी रास्ता हो सकता है कि चुनिंदा लोगों के प्रतिनिधियों के साथ सीमित संख्या के साथ आंदोलन चले और सरकार से गुफ्तगू के दरवाजे भी खुले रहें। प्रदर्शनकारियों को ध्यान रखना होगा कि सरकार ने सीएए पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। इसलिए आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के प्रति लचीला रुख अपनाते हुए ही आंदोलन को लंबे समय तक चला पाएंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगली सुनवाई 24 फर.तक कोई सम्मानजनक हल निकल आएगा।



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