विश्व को संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली कैंट में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल एनसीसी कैडेटों की रैली को संबोधित करते हुए जो कुछ कहा वह भारत सहित दुनिया भर के आलोचकों को सरकार की ओर से दिया गया जवाब है।
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वस्तुत: देश के अंदर नागरिकता संशोधन कानून से लेकर एनपीआर एवं संभावी एनआरसी का जिस तरह विरोध हो रहा है, उसे विश्व स्तर पर भी फैलाया गया है। विदेशी मीडिया मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है, तो यूरोपीय संसद में इस पर चर्चा हो रही है। कई देशों ने भी बयान दे दिए हैं। निश्चय ही विदेश मंत्रालय इस दिशा में पूरी तरह सक्रिय है, लेकिन इस समय प्रधानमंत्री का खुलकर बोलना आवश्यक था। आप देखेंगे कि अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने सारे मुद्दों को उठाते हुए इसे न्यू इंडिया का अंग बताया।
उनके अनुसार न्यू इंडिया का मतलब समस्याओं को टालना नहीं, उनसे टकराना और समाधान निकालना है। यह कहकर कि सीएए को वापस लिए जाने की गुंजाइश नहीं है, उन्होंने भारत एवं दुनिया भर के विरोधियों के सामने अपनी सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया है। जब आपको देश और दुनिया को संदेश देना हो तो विस्तार से बात करनी होती है और वही प्रधानमंत्री ने किया। यकीनन कुछ न कुछ संदेश अवश्य गया होगा। सरकार अगर अपनी नीति को सही मानती है, तो केवल गृह मंत्री या उनसे नीचे के मंत्रियों तथा पार्टी नेताओं के बयान पर्याप्त नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने इसके पूर्व रामलीला मैदान की पार्टी रैली में भी विस्तार से इस पर बातचीत की थी, लेकिन उसके बाद विरोध कम नहीं हुआ। तो देखना होगा कि इस बयान का कितना असर होता है। यूरोपीय संघ को लोक सभा अध्यक्ष ने पत्र लिखकर देश की संप्रभुता का सम्मान करने का जो आग्रह किया है, उसका जवाब भी आना है। चूंकि इस समय एक साथ अनुच्छेद 370, कश्मीर, पाकिस्तान से संबंध, तीन तलाक आदि सारे मुद्दों को नागरिकता कानून के साथ जोड़ दिया गया है, इसलिए प्रधानमंत्री ने इन सब पर अपना मत स्पष्ट किया है।
भारत के अंदर विरोधियों पर इसका सकारात्मक असर होगा, ऐसा लगता नहीं है क्योंकि विरोध के कारण राजनीतिक हैं। लेकिन दुनिया के देशों पर अवश्य असर होगा। प्रधानमंत्री मोदी के कहने का सीधा अर्थ था कि हमारी नीति स्पष्ट है, जिस पर हम कायम रहेंगे यानी आपको अपनी नीति हमारे बारे में तय करनी होगी, हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है। तो इंतजार करें और देखें कि दुनिया की क्या प्रतिक्रिया आती है।
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