चिंता की बात
खुदरा (रिटेल) महंगाई दर का बढ़ना पहली नजर में निश्चय ही चिंताजनक है। सांख्यिकी कायालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में इसका 7.35 प्रतिशत की अनपेक्षित उंचाई को छू जाना असामान्य स्थिति है।
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पिछले नवंबर में यह 5.54 प्रतिशत थी। यदि 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्तासीन होने के समय से इसकी तुलना की जाए तो यह जुलाई 2014 के निकट पहुंच गई है जब खुदरा महंगाई दर 7.39 प्रतिशत थी। साढ़े पांच वर्ष में महंगाई दर सबसे ज्यादा है। आर्थिक सुस्ती के बीच जो बातें सरकार के पक्ष में जा रहीं थीं वो थीं, महंगाई दर का नियंत्रण में रहना, शेयर बाजार का उछाल तथा निवेशकों का भारत में विश्वास बना रहना।
इसमें महंगाई दर का नियंत्रण से फिसल जाना ऐसे समय में सरकार के लिए बहुत बड़ा धक्का है। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर घटाने की संभावना लगभग खत्म हो गई है। रिजर्व बैंक ने भी महंगाई दर को पांच प्रतिशत के आसपास रखने का लक्ष्य तय किया हुआ था। तो क्या महंगाई दर भी अब और घाव देगा? इसका सीधा-साधा उत्तर देना इसलिए कठिन है क्योंकि महंगाई दर की वृद्धि तात्कालिक है। इसमें प्याज की कीमत का सबसे बड़ा योगदान है। सब्जियों तथा कुछ अन्न की कीमतों ने भी इसमें योगदान दिया है।
सब्जियों के दाम दिसंबर में 60.5 प्रतिशत बढ़े, खाद्य वस्तुओं में वृद्धि 14.12 प्रतिशत रही जो नवंबर में 10.01 प्रतिशत थी। तो खुदरा महंगाई दर में वृद्धि का मुख्य कारण सब्जियों के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी है। चूंकि सब्जियों के दाम गिरने लगे हैं, प्याज के मूल्यों में गिरावट आ रही है, इसलिए यह मानने में हर्ज नहीं है कि आने वाले दो-तीन महीनों में महंगाई दर काफी नीचे आ जाएगा।
पूरे आंकड़ों का आकलन करें तो किसानों द्वारा पैदा की जानी वाली सामग्रियों के कारण महंगाई बढ़ी है। अगर ये बढ़े हुए मूल्य किसानों तथा कृषि क्षेत्र में काम करने वाले सामान्य व्यापारियों की जेबों में बंटें तो देश महंगाई झेल सकता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि किसानों तथा उनसे स्थानीय स्तर पर व्यापार करने वालों की जेब में इसका अत्यंत कम अंश जाता है। इसलिए केन्द्र एवं मुख्यत: राज्य सरकारों की जिम्मेवारी है कि वह एक ओर महंगाई दर कम करने के लिए कदम उठाए तो दूसरी ओर किसानों और स्थानीय छोटे व्यापारियों तक बढ़े हुए दाम के अंश पहुंचे इसके लिए पहले से ज्यादा और तेजी से काम करने की आवश्यकता है।
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