विकास दर में गिरावट
वर्तमान वित्तीय वर्ष में विकास दर 5 प्रतिशत के आसपास सिमट जाना किसी तरह से आश्चर्य में डालने वाला समाचार नहीं है।
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भारतीय रिजर्व बैंक से लेकर कई संस्थाओं तक ने इस बात की भविष्यवाणी कर दी थी कि अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधरने में समय लगेगा। हालांकि पांच प्रतिशत विकास दर का मतलब यह हुआ कि लगातार चौथे साल में अर्थव्यवस्था गिरावट की ओर बढ़ रही है।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के एडवांस एस्टीमेट के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष में देश का कुल सकल घरेलू उत्पाद 147.79 लाख करोड़ रु पये पर आ सकता है। यह पिछले वर्ष के 140.78 लाख करोड़ से थोड़ा ज्यादा है। इस तरह विकास दर पांच प्रतिशत रहेगी। पिछले वर्ष विकास दर 6.8 प्रतिशत थी। इतनी गिरावट निस्संदेह चिंताजनक है। यह इसलिए भी कि इसका जो कारण है, वह यह कि विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 6.9 से घटकर केवल दो प्रतिशत तथा निर्माण क्षेत्र की 8.7 से घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। कृषि क्षेत्र का विकास भी 2.9 से 2.8 प्रतिशत के बीच रहने वाला है।
इन तीनों क्षेत्रों के विकास में इतनी गिरावट एक साथ कई क्षेत्रों में प्रभाव डालने वाली है। हालांकि सेवा क्षेत्र में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं है। उदाहरण के लिए ट्रेड, होटल, रेस्टोरेंट की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत के आसपास है, और सेवा क्षेत्र की कुल वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विचार करने की बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के प्रोत्साहन पैकेजों के बावजूद, जिसमें उन्होंने अनेक प्रकार के करों में कटौतियां कीं, सुविधाएं दीं, विकास दर तेजी से ऊपर क्यों नहीं उठ पा रही है? विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में विकास कम होने का असर रोजगार पर भी पड़ता है। अगर लोगों के पास रोजगार नहीं होंगे, उनकी जेबों में पैसे कम आएंगे तो वे खरीदारी कम करेंगे और इसका असर समग्र विकास की स्थिति पर पड़ता है।
लेकिन सेवा क्षेत्र सही है, तो मानना कठिन है कि लोगों की जेब में खर्च करने के पैसे नहीं हैं। इस प्रकार भारत की अर्थव्यवस्था इस समय जिस अवस्था में है, उसे समझ पाना बड़े-बड़े विशेषज्ञों के लिए कठिन है। अगर अर्थव्यवस्था में इतनी गिरावट है, तो शेयर बाजार कैसे बेहतर स्थिति में है? सेवा क्षेत्र कैसे बेहतर स्थिति में है? जाहिर है कि जो आंकड़े हमारे पास आ रहे हैं, उन पर परंपरागत नजरिए से अलग हटकर विचार करने की जरूरत है ताकि जहां-जहां भी अर्थव्यवस्था में सुस्ती है, उसके कारणों को ठीक से समझा जा सके और गति देने के लिए उपयुक्त कदम उठाया जा सके।
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