युद्ध नहीं शांति
जैसे ही यह खबर आई कि ईरान ने बगदाद स्थित अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए हैं, पूरी दुनिया में भय की लहर पैदा हो गई। जब ईरान ने यह कहा कि उसके हमले में 80 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं; आम सोच यही बनी कि अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करेगा।
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कारण, अमेरिकी अपने सैनिकों या अपने नागरिकों की मौत को आसानी से सहन नहीं कर सकते। हालांकि थोड़ी देर बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ऑल इज वेल यानी’ ट्वीट करके जता दिया कि अमेरिका तत्काल इसके विरु द्ध कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहा है। वास्तव में ईरान के दावे के विपरीत सूचना यही है कि मिसाइल हमले में सैन्य अड्डे को तो थोड़ा नुकसान पहुंचा लेकिन कोई भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ।
नार्वे ने भी कहा कि हमारे सारे सैनिक सुरक्षित हैं। डेनमार्क ने भी कहा कि हमारा कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ है। इस तरह यह मानने में कोई हर्ज नहीं है कि ईरान ने अपने देश में जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद जो उबाल पैदा हुआ उसको ठंडा करने की दृष्टि से हमले तो किए मगर इसका ध्यान रखा कि अमेरिका को मानवीय क्षति नहीं हो। तब भी ट्रंप की पत्रकार वार्ता की प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रहा था।
ट्रंप क्या घोषणा करेंगे इसका अंदाजा किसी को नहीं था किंतु जब उन्होंने कहा कि हम अभी कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहे हैं; पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली। दोनों देशों की स्थिति का पहला निष्कर्ष यही है कि सीधा सैनिक टकराव इनके बीच तत्काल नहीं होने वाला है। हालांकि ईरान ने सभी अमेरिकी सैनिकों को आतंकवादी घोषित कर दिया एवं पेंटागन को आतंकवाद का केंद्र। उसने यह भी ऐलान कर दिया कि कोई भी देश इन आतंकवादियों का साथ नहीं देगा।
यानी अमेरिकी सैनिक अपने अड्डे से जहां से भी कार्रवाई करेंगे, उस देश के खिलाफ ईरान कार्रवाई करेगा। ईरान ने यह घोषणा किया हुआ है कि वह सुलेमानी के मौत का बदला लेगा। उसने अपनी ओर से मिसाइल हमले करके जता दिया कि उसने बदला लेना आरंभ कर दिया है। उसे भी पता है कि लंबी लड़ाई में फंसने के बाद उसकी दशा क्या होगी? ईरान अपनी ओर से भले कोई हमला न करें, ईरान समर्थित मिलिशिया समूह अवश्य अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश करेंगे। इस तरह अमेरिका की चिंता ईरान के साथ-साथ सारे उग्रवादी समूह है। कुल मिलाकर पूरी दुनिया यही चाहेगी कि किसी तरह का युद्ध ना हो।
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