पड़ोसी प्रथम

Last Updated 03 Jan 2020 12:27:57 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नव वर्ष पर पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देशों के नेताओं से बातचीत करना भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ विदेश नीति को आगे बढ़ाने वाला कदम है।


पड़ोसी प्रथम

पाकिस्तान पिछले वर्ष अगस्त में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत के खिलाफ जिस तरह का दुष्प्रचार कर रहा है, उसमें इस समय वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान को नव वर्ष की शुभकामनाएं देने का गलत संदेश जाता। जब आप किसी देश के नेता को शुभकामनाएं देने के लिए फोन करते हैं तो उसमें परस्पर संबंधों पर भी बात होती है। भारत की ओर से इसका सीधा संदेश है कि पूरे दक्षिण एशिया में अन्य देशों के साथ तो हम संबंधों को आगे ले जाने के लिए हर स्तर पर काम करने को तैयार है किंतु पाकिस्तान के साथ यह संभव नहीं।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत में अगले वर्ष उनके देश के आविर्भाव की 50 वीं वार्षिकी तथा शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी मनाने की चर्चा कर मोदी ने भारत के भावनात्मक जुड़ाव का संदेश दिया। इस समय नागरिकता संशोधन कानून के कारण बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हुए व्यवहार की चर्चा से वहां के नेताओं में भारत को लेकर थोड़ी नाखुशी देखी गई है। जाहिर है, प्रधानमंत्री के फोन का सकारात्मक असर हुआ होगा ऐसा मानना चाहिए। जब भारत शेख मुजीबुर्रहमान की जन्मशती तथा बांग्लादेश के जन्म की अर्धशती मनाने की बात करेगा तो इसका संदेश किसी तरह उल्टा नहीं जा सकता।

इसी तरह, श्रीलंका के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री, भूटान के नरेश एवं प्रधानमंत्री, नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने शांति एवं सभी देशों की समृद्धि के लिए साझेदारी की बात कर भारत की नीति को ही आगे बढ़ाया है। जिस तरह सभी देशों से सकारात्मक एवं उत्साहजनक जवाब मिले उनसे यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सर्वोच्च शिखर पर ले जाने के लक्ष्य से साझेदारी सशक्त होगी।

हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बातचीत के बाद अपने ट्वीट में लिखा कि भारत के साथ लंबित मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इससे हमें नेपाल की वर्तमान सरकार की सोच का पता तो चलता है, लेकिन इसमें निरु त्साहित या नाराज होने का कारण नहीं है। इसका सबक इतना ही है कि चीन की भूमिका का वहां जिस तेजी से विस्तार हो रहा है, उसका ध्यान रखते हुए भारत को नेपाल के साथ सधी हुई कूटनीति अपनाने की जरूरत है।



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