नमामि गंगे की प्रगति

Last Updated 16 Dec 2019 06:39:01 AM IST

कानुपर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक इस मायने में उम्मीद जगाने वाली है क्योंकि गंगा में सर्वाधिक प्रदूषण की शुरुआत वहीं से होती है।


नमामि गंगे की प्रगति

अगर प्रधानमंत्री ने ‘नमामि गंगे’ योजना की समीक्षा के लिए वहां बैठक की तो जाहिर है, इतना काम हो चुका है जिसे दुनिया को दिखाया जा सके। पूरा तो नहीं मगर काफी हद तक यह सच है कि कानपुर की प्रदूषित गंगा पहले के समान नहीं है। प्रधानमंत्री ने जल शक्ति मंत्री, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों, बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों के साथ अलग-अलग घाटों का निरीक्षण कर स्वयं यह समझने की कोशिश की कि कितना काम हुआ है और कितना हुआ जाना हैं। कानुपर में गंगा को सड़ाने वाली 128 साल पुराने सीसामऊ नाला को बंद करना अत्यंत ही कठिन था किंतु यह काम हुआ और इससे निर्मल गंगा की राह आसान हुई। प्रधानमंत्री के उस नाले तक जाने का प्रभाव इतना हुआ कि सभी को यह पता चला कि वाकई यह नाला बंद किया जा चुका है एवं मां गंगा को अपवित्र करने के सबसे बड़े स्रोत का अब गंगा से कोई संबंध नहीं है। ‘

नमामी गंगे’ योजना का लक्ष्य केवल गंगा को स्वच्छ बनाना ही नहीं है, इसे भारत के विकास, पर्यावरण सुधार तथा लोगों के स्वस्थ होने का आधार भी बनाना है। प्रधानमंत्री द्वारा समीक्षा बैठक में इसकी ओर ध्यान दिलाया जाना स्वाभाविक था। उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगे’ की धारा अब ‘अर्थ गंगा’ की ओर मुड़ने जा रही है। वस्तुत: जीरो बजट खेती, ईको-एडवेंचर टूरिज्म, रिवर फ्रंट बेसिन का विकास और डॉल्फिन प्रोजेक्ट आदि इसी का अंग तो है, जिसकी ओर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकृष्ट किया।

आय बढ़ाने के लिए गंगा के किनारे फलदार वृक्ष लगाने, नर्सरी बनाने, गंगा किनारे एडवेंचर स्पोर्ट्स, साइकिलिंग, वाकिंग पाथ-वे की व्यवस्था करने तथा गंगा में जलयान यानी क्रूज टूरिज्म का रोमांच देने की जो बातें प्रधानमंत्री ने की, उससे पता चलता है कि इस योजना का धरातल पर कितना व्यापक स्वरूप है। मोदी ने किसानों के साथ योजनाओं में महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों व पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता देने का सुझाव इसी दृष्टि से दिया होगा। जाहिर है, यह तभी हो सकता है जब परिषद को ज्यादा अधिकार मिले और बैठक में ही उसे इस दिशा में निर्णय लेने के अधिकार मिल गए। तो उम्मीद करनी चाहिए कि ‘नमामी गंगे’ योजना सफाई के साथ अपने समग्र लक्ष्य को लेकर बढ़ता रहेगा।



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