रूस को झटका

Last Updated 12 Dec 2019 04:36:55 AM IST

डोपिंग के आरोप में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभी खेल प्रतिस्पर्धाओं से रूस को बाहर किए जाने से खेल जगत चकित है।




रूस को झटका

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने डोप टेस्ट में छेड़छाड़ के संगीन आरोपों के बाद यह सख्त फैसला लिया है। डोपिंग की समस्या हर जगह गंभीर है, इस तथ्य से कोई देश, खेल संस्था और खिलाड़ी इनकार नहीं कर सकता कि वह डोपिंग से बिल्कुल अलहदा है।

जब से खेल में पैसा और रसूख बढ़ा है, शक्तिवर्धक दवाओं या प्रतिबंधित दवाओं के इस्तेमाल करने का चलन भी उतनी ही तेजी से परवान चढ़ा है। कह सकते हैं कि डोपिंग खेलों में सफलता का दूसरा नाम बन चुकी है। रूस की बात करें तो यहां के खिलाड़ी डोपिंग से ज्यादा प्रभावित रहे हैं।

खुद वाडा ने नवम्बर 2015 में माना था कि रूस में डोप का जबरदस्त ‘कल्चर’ है। यहां तक कि रूस की डोपिंग एजेंसी का इस मामले में नाम बेहद खराब है। अब जबकि विश्व की खेल शक्ति के तौर पर पहचान रखने वाले रूस को चार साल के लिए खेल की दुनिया से प्रतिबंधित कर दिया गया है तो यह सवाल ज्यादा संजीदगी से बहस के दायरे में है कि आखिर टोक्यो ओलंपिक खेल (2020) का स्वरूप कैसा होगा?

बिना रूस के खेल के सबसे बड़े आयोजन का रोमांच कैसा होगा? मगर रोमांच से ज्यादा रूस के अंदर कोलाहल इस बात को लेकर मचा है कि आखिर इसमें गलती किसकी है? खिलाड़ियों की या अधिकारियों की? सजा का हकदार कौन होगा? ऐसे तमाम सवालों को लेकर वहां की जनता के दिलो-दिमाग में हलचल मची हुई है। भले रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन यह दलील दें कि हम वाडा के फैसले को चुनौती देंगे, मगर खेल के जानकारों का दावा है कि रूस की अपील पर कुछ नहीं होने वाला।

दरअसल, रूसी खिलाड़ियों के डोप सैंपल में बदलाव इतना बड़ा और महत्त्वपूर्ण है कि रूस की यह दलील निहायत कमजोर लगती है कि गलती अचानक से हो गई। वैसे रूस ही नहीं दुनिया का हर देश डोपिंग के डंक से बेहाल है। इस लिहाज से इससे पार पाना निश्चित तौर पर खिलाड़ियों और सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। रूस पर प्रतिबंध से उन खिलाड़ियों पर जरूर दबाव पड़ेगा, जो शॉर्टकट से सफलता की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को इस बात की सजगता से पड़ताल करनी होगी कि इससे बाकी निदरेष खिलाड़ियों पर असर न पड़े।



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