बजाज की खरी-खरी
प्रसिद्ध उद्योगपति राहुल बजाज के इस बयान से देश में सियासत शुरू हो गई है कि देश में इस समय खौफ का माहौल है।
बजाज की खरी-खरी |
लोग सरकार की आलोचना करने से डरते हैं, और लोगों में यह यकीन नहीं है कि उनकी आलोचना को सरकार सकारात्मक तौर पर लेगी। हालांकि भाजपा के प्रवक्ताओं ने राहुल बजाज की आलोचना करते हुए कहा है कि वह कांग्रेस के पक्ष में खड़े होकर बयान दे रहे हैं। लेकिन राहुल बजाज को कांग्रेस के खेमे में खड़ा करने से पहले भाजपा के प्रवक्ताओं को इस तथ्य का पता होना चाहिए कि सन 2006 में राज्य सभा चुनाव में राहुल बजाज का समर्थन भाजपा ने भी किया था।
तो फिर उनका अभिनंदन किया जाना चाहिए कि उन्होंने बिगाड़ के डर को नजरअंदाज करके ईमान की बात कही है। भले ही भाजपा के प्रवक्तागण राहुल बजाज को कांग्रेस का पक्षधर बता रहे हों और उनके बयान को कांग्रेस के प्रवक्ता के तौर पर दिया गया बयान बता रहे हों। लेकिन इस सबके बावजूद राहुल बजाज का बयान एक गंभीर चिंता को तो जन्म देता ही है। इस चिंता में पूर्व मंत्री पी. चिदम्बरम की गिरफ्तारी भी एक उदाहरण है। जिस तरह के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उस तरह के मामले में देश के हर दूसरे पूर्व मंत्री के विरुद्ध मामले दर्ज किए जा सकते हैं।
ताजा उदाहरण एनसीपी नेता अजित पवार का है। जिस अजित पवार को जेल भेजे जाने की बात की जा रही थी, उस अजित पवार के भाजपा के खेमे में शामिल होते ही और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के पद पर शपथ लेते ही वे सारे मामले उलट दिए गए और कहा गया कि उस कथित भ्रष्टाचार से अजित पवार का कोई संबंध नहीं था। इस तरह की घटनाएं साफ संकेत देती हैं कि यदि आप सरकार के विरुद्ध कुछ बोलते हैं, कुछ करते हैं, तो आपको किसी भी परिणति के लिए तैयार रहना चाहिए।
हो सकता है कि वर्तमान सरकार ऐसा न कर रही हो और उसकी सारी कार्रवाइयां यथार्थत: प्रामाणिक हों, लेकिन उसके बाद भी जो धारणा बन रही है, वह वही है जो उद्योगपति राहुल बजाज ने प्रकट की है। वास्तव में यह भाजपा सरकार के लिए बड़ी चेतावनी है, और उसे समय रहते संभल लेना चाहिए अन्यथा भविष्य में उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। वैसे गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वस्त किया है कि किसी सही व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है। यही होना चाहिए।
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