धोखाधड़ी के विरुद्ध छापा

Last Updated 07 Nov 2019 12:19:56 AM IST

बैंक धोखाधड़ी के मामले इन दिनों जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे हर व्यक्ति बैंक में जमा धन को लेकर आशंकित है। यह स्वाभाविक भी है।


धोखाधड़ी के विरुद्ध छापा

दरअसल, पूरा देश चाहता है कि धोखाधड़ी पर अंकुश लगे और धोखाधड़ी करने वाले कानून की गिरफ्त में आएं। इस मामले में सब सरकार के साथ है। जब काले धन से निजात पाने के नाम पर नोटबंदी लागू की गई तो ज्यादातर भारतीयों ने सरकार का समर्थन किया।

इस दृष्टि से विचार करें तो कहना होगा कि सीबीआई द्वारा हाल में धोखाधड़ी के मामले में एक साथ करीब 175 स्थानों पर देशभर में मारा गया छापा स्वागत योग्य है। उम्मीद करनी चाहिए कि छापेमारी की इस कवायद से धोखाधड़ी के सबूत अवश्य मिले होंगे और धोखेबाजों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। अभी जो आंकड़ा देश के सामने आया है, उसके अनुसार 2018-19 में धोखाधड़ी के लगभग सात हजार मामले सामने आए जिनमें करीब 72000 करोड़ रुपये का घपला हुआ।

एटीएम और क्रेडिट कार्ड के जरिए धन निकाल लेने से लेकर सीधे खाता तक से पैसे गायब हो रहे हैं। ऐसे मामले रोज देखने-सुनने में आ रहे हैं कि कर्ज किसी के नाम का लिया गया और उसे ही पता नहीं। धोखेबाजों ने ऐसे-ऐसे चौंका देने वाले तरीके अपना लिए हैं, और ऐसे-ऐसे औजार विकसित कर लिए हैं कि उनको पकड़ना मुश्किल हो जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने नियम बना दिया है कि खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकाले हैं, तो संबद्ध बैंक को उतना ही जमा करना पड़ेगा। लेकिन व्यवहार में देखा गया है कि बैंक आसानी से ऐसा नहीं करते। काफी दौड़ धूप करने के बाद कुछ लोगों के पैसे जमा होते हैं पर ज्यादातर के नहीं। कहने की जरूरत नहीं कि यह स्थिति बदलनी चाहिए।

बहरहाल, निश्चित रूप से छापे में सीबीआई को काफी कुछ सबूत मिले होंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले समय में और अधिक गिरफ्तारियां भी होंगी। इससे यह भी पता चलेगा कि ये शांत लूटेरे क्या-क्या तरीके धोखाधड़ी के अपनाते रहे हैं। इनकी तरीकों यानी मोड्स अपरेंडी की जानकारी होने पर भविष्य में सुरक्षा के उपाय किए जा सकेंगे। आज हर व्यक्ति के लिए अपनी जमा पूंजी बैंक में जमा रखना अनिवार्य जैसा ही है। उनके धन की सुरक्षा का दायित्व बैंकों का है, और प्रकारांतर से सरकार का भी। इसलिए सरकार को समय-समय पर सुरक्षा के लिए समीक्षा बैठक बुलानी चाहिए। एक स्थायी सुरक्षा निकाय गठित हो जिसके पास छानबीन से लेकर कानूनी कार्रवाई का अधिकार हो।



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