उपलब्धि है बड़ी

Last Updated 04 Oct 2019 02:22:25 AM IST

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया।


उपलब्धि है बड़ी

जब उन्होंने 2014 में सत्ता संभाली थी, तब स्वच्छ भारत अभियान की शुरु आत की थी और ऐलान किया था कि 2 अक्टूबर, 2019 को भारत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो जाएगा। आखिरकार वह घड़ी आ गई, जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश से किए अपने वादे को पूरा करने की घोषणा कर दी। गत पांच साल में गांवों और शहरों में करीब 11 करोड़ शौचालय बनवाए गए। इस तरह उन्होंने महात्मा गांधी के सपने को साकार करने का कार्य किया। गांधी जी का स्वच्छता के प्रति इतना आग्रह था कि इसके बिना वे स्वराज्य को अधूरा मानते थे। लेकिन दुर्भाग्यवश आजादी के बाद बनी कई सरकारों की प्राथमिकता में यह नहीं रहा। पिछले तीन-चार दशक से जरूर इस दिशा में सरकारी प्रयासों में गति आई, लेकिन वह इतनी अधिक नहीं थी कि उसकी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में बखान किया जा सके। जब मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में 2014 में सत्ता संभाली थी, तब करीब 38 प्रतिशत घरों में ही शौचालय बन पाए थे।

निश्चित रूप से सरकार के सामने शत-प्रतिशत शौचालय बनाने की कठिन चुनौती थी। चूंकि प्रोत्साहन राशि शौचालय बनवाने के बाद मिलनी थी, इसलिए जिनके पास पैसे नहीं थे, उनके लिए शौचालय बनवाना मुश्किल काम था। लेकिन समय के साथ ऐसी समस्याओं का समाधान होता गया और योजना जमीन पर उतरती गई। यह न केवल सरकारी प्रयासों का नतीजा रहा, बल्कि इसमें आम आदमी की भागीदारी भी अहम रही।

ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इस योजना के क्रियान्वयन में कमियां नहीं हैं, लेकिन मोदी सरकार ने समाज के स्तर पर स्वच्छता को लेकर जो जागरूकता पैदा की है, वह अभूतपूर्व रही। इसलिए अगर योजना में कोई कमी है भी, जो एक जागरूक समाज उसे स्वत: पूरा करने का सामथ्र्य रखता है। अब भी ग्रामीण अंचलों में कुछ लोगों के शौचालय नहीं बन सके हैं, लेकिन अपवाद नियम नहीं होता। कई शौचालय मानक के अनुरूप नहीं बताए जाते। अगर शौचालय बन गए हैं, तो कई लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते। जो खुले में शौच के अभ्यस्त हैं, उनकी आदत में शौचालय जाना अचानक शामिल नहीं हो जाएगा। संतोष की बात यह है कि इस प्रवृत्ति में बदलाव दिख रहा है, क्योंकि इसके प्रति गांव की सोच बदल रही है। 



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