हम नहीं सुधरेंगे
भारत और दुनिया के बाकी मुल्कों द्वारा पाकिस्तान पर डाले गए दबाव और नसीहतों का लगता है उस पर रत्ती भर भी असर नहीं पड़ा है।
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प्रशिक्षित आतंकवादियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने की उसकी पुरानी नीति जारी है। कहते हैं कि रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन गई नहीं। यही हाल पाकिस्तान का है। इस रास्ते पर चलकर शायद उसने ठान ली है कि हम नहीं सुधरेंगे। उसने अपने मुल्क को खोखला कर दिया। इसी साल फरवरी में पुलवामा में आतंकवादी हमले का बदला भारत ने जिस दिलेरी और साहस से बालाकोट पर हमले करके लिया, उसके बावजूद पाकिस्तान की सोच में बदलाव नहीं आया है।
अब कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट चरम पर है। अच्छे-बुरे का विवेक भूल वह एक ओर भारत के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहा है तो दूसरी तरफ आतंकवादियों और हथियारों की खेप भारत पहुंचाने की हरकत पर उतर आया है। पिछले दिनों की दो घटनाएं इस लिहाज से भारत के लिए चिंता का सबब है कि एक तरफ वह ड्रोन के जरिये भारत में हथियारों की खेप पहुंचाने की कुचेष्टा करता दिखा तो वहीं बालाकोट में फिर से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी कैंप सक्रिय करने की कवायद कर रहा है।
एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को 1971 वाली गलती नहीं दोहराने की चेतावनी दी है। कभी परमाणु हथियार की गीदड़भभकी तो कभी ड्रोन से हथियार गिराना तो कभी आतंकवादियों को कश्मीर के रास्ते भारत में प्रवेश कराने की अपनी करतूतों से भारत पर दबाव बनाना चाहता है। साजिशों से भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि अगले कुछ महीने भारत के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे क्योंकि पाकिस्तान ठंड का इंतजार कर रहा है क्योंकि इस मौसम में वह आतंकवादियों की घुसपैठ कराता है।
हालांकि भारत को फिलहाल हर स्तर पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उघाड़ने में कामयाबी मिली है। इसे बरकरार रखना होगा। खास तौर पर सीमा पर चौकसी बेहद सख्त रखनी होगी। पाकिस्तान पर नरम होने का कोई मतलब नहीं है। उसकी हाल की हरकतों से भारत को नये सिरे से रणनीति बनानी होगी। नि:संदेह मोदी सरकार ने पाकिस्तान को कूटनीति के क्षेत्र में मात दी है, किंतु आतंकवाद का जब तक खात्मा नहीं होगा, अमन की बात बेमानी होगी। देखना है, पाकिस्तान भारत के तेवर को किस रूप में लेता है? तब तक भारत को चपलता से उस पर निगाह रखनी होगी।
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