एक देश एक कार्ड
साल 2021 की जनगणना प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन यह किस प्रकार से कराई जाए, इसको लेकर विचार-मंथन जरूर चल रहा है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के नए भवन की आधारशिला रखने के अवसर पर यह कहा कि क्यों न हमारे पास आधार, पासपोर्ट, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर कार्ड जैसी सुविधाओं के लिए एक ही कार्ड हो। हालांकि सरकार अभी ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है, लेकिन उन्होंने यह विचार सार्वजनिक रूप से जरूर रख दिया है। पहली नजर में इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इसमें सुविधा ही सुविधा है। अगर ये आंकड़े एक ही कार्ड में समाहित हो जाएं, तो अलग-अलग दस्तावेज लेकर चलने की झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और कई तरह के फर्जीवाड़े पर भी रोक लग सकती है। लेकिन आंकड़े सुरक्षित नहीं रहे, तो इसके दुरुपयोग की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। चूंकि अभी तक ये आंकड़े बिखरे हुए हैं, मगर जब ये एक जगह हो जाएंगे, तो इसका खतरा और बढ़ जाएगा और निजता भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए सरकार अगर इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो इन आंकड़ों की गोपनीयता को पुख्ता रखने की व्यवस्था भी करनी होगी।
बहरहाल, सरकार द्वारा देश के मानव संसाधन के बारे में पर्याप्त आंकड़े एकत्र करने में कोई बुराई नहीं है। इन आंकड़ों की उपयोगिता खुद गृह मंत्री शाह ने यह कहकर स्वीकार किया कि 2011 की जनगणना के आधार पर मोदी सरकार ने 22 कल्याणकारी योजनाएं बनाई। यह बात समय-समय पर उठती रही है कि हमारी सरकारों के पास अपनी ही आबादी के बारे में पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। जाहिर है सटीक आंकड़ों के अभाव में देश के विकास के लिए समुचित योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं। यह जरूरी है कि भावी जनगणना के लिए ऐसा तरीका अपनाया जाए, जिससे इसकी उपयोगिता बढ़ सके। ध्यान देने की बात है कि पहली बार जनगणना में मोबाइल एप का उपयोग किया जाने वाला है, जिससे कागज-कलम वाली जनगणना डिजिटल युग में प्रवेश कर जाएगी। अगर वैज्ञानिक तरीके से जनगणना कार्य संपन्न हो जाता है, तो भविष्य में इसका विभिन्न तरीके से राष्ट्र निर्माण में इस्तेमाल हो सकता है। जनता भी इसमें खुलकर भागीदारी करे।
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