जाहिर हुई मानसिकता

Last Updated 12 Aug 2019 12:16:57 AM IST

अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के सरकार के निर्णय को लेकर विरोध और समर्थन की चाहे जो भी स्थिति देश और देश के बाहर हो।


जाहिर हुई मानसिकता

पर इतना तो तय है कि जम्मू-कश्मीर की समस्या और समाधान का पूरा संदर्भ बदल गया है। बहुत आलोचनात्मक टेक न भी लें तो भी यह तो कहा ही जा सकता कि देश आजादी के बाद एक बार फिर से अपने पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा है। यों भी कह सकते हैं कि यह एक गणतंत्र के रूप में भारत के निर्माण का उत्तर चरण है।

ऐसे समय में सरकार और समाज के आगे यह बड़ी चुनौती है कि वह अपने कार्य और व्यवहार से ऐसा कुछ न करे, जो देशहित के खिलाफ जाए और जिससे उसके भविष्य के रास्ते संकरे हो जाएं, जटिल हो जाएं।

इस आशय-संदर्भ के साथ अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कश्मीर की लड़कियों को लेकर दिए गए बयान को देखें, तो बड़ी निराशा और कोफ्त होती है। खट्टर ने एक समारोह में कहा, ‘कुछ लोग कह रहे हैं कि अब तो शादी के लिए कश्मीर से भी लड़कियां लाई जा सकती हैं।’ इस बयान की हर तरफ से निंदा का सिलसिला अब तक थमा नहीं है।

राष्ट्रीय महिला आयोग से लेकर तमाम सियासी-सामाजिक जमातों ने इस बयान की घोर र्भत्सना की है। यहां तक कि खुद खट्टर तक को आगे आकर कहना पड़ा कि उनके बयान को गलत अथरे में लिया जा रहा है। मगर इस बयान को लेकर उनके दल के शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर जिस तरह की खामोशी दिखी है, वह चिंता को और गहराती है। दरअसल, न सिर्फ  यह बयान बल्कि इसके आगे-पीछे दिए गए इस तरह के कई बयान इस फिक्र को बढ़ाते हैं कि हम कश्मीर को लेकर अपने ही समाज की बेटियों को लेकर कैसी मानसिकता रखते हैं?

गौरतलब है कि हरियाणा देश का वह प्रांत है, जहां से 2015 में प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश पूरे देश को दिया गया था। उस समय प्रदेश के 20 में से 12 जिलों में लिंगानुपात की हालत बेहद चिंताजनक थी। यह स्थिति आज सुधरी है। पर हरियाणा के लिए लैंगिक समानता का लक्ष्य अब भी कितना दूर है, यह वहां के मुख्यमंत्री के बिगड़े बोल से जाहिर है। बेहतर हो कि राष्ट्र निर्माण के नये कल्प-संकल्प की बात करने वाले अपने आचरण से देश और समाज को आशा और प्रेरणा की राह दिखाएं, न कि उन्हें घातक स्फीति की ओर ले जाएं।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment