मौन हुई मुखर सुषमा
सुषमा स्वराज का जाना नि:स्संदेह भारतीय राजनीति की बहुत बड़ी क्षति है।
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भारतीय जनता पार्टी की क्षति तो है ही है मगर एक ऐसी नेत्री, जिसके चार दशक से ज्यादा के राजनीतिक जीवन काल में कभी कोई आरोप नहीं लगा, कोई निजी दुश्मन नहीं बना हो; ऐसा व्यक्तित्व राजनीति में आज विरले ही मिलेंगे। सुषमा स्वराज हरियाणा सरकार में मंत्री रहीं, केंद्र में मंत्री रहीं, विधायक रहीं, सांसद रहीं, भारतीय जनता पार्टी की पदाधिकारी रहीं, प्रवक्ता रहीं।
इन सब पदों पर रहते हुए उन्होंने उनकी गरिमा को इतनी उच्चता प्रदान की कि बाकियों के लिए आदर्श बन गया। हालांकि उनका स्वास्थ्य इतना ज्यादा खराब हो गया था कि उन्होंने 2019 का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की और नरेन्द्र मोदी सरकार-2 का भाग भी नहीं बनी। लेकिन पिछली सरकार में उन्होंने विदेश मंत्रालय को बिल्कुल एक अलग छवि प्रदान की। उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों, भारतवंशियों के लिए एक ऐसा कार्यालय हो गया था, जिससे कोई किसी भी क्षण ट्विटर पर संपर्क कर सकता था।
उसे जो सहायता चाहिए वह मिलती थी, सुझाव मिलते थे, उनकी समस्याओं को दूर करने के कदम उठाए जाते थे। इस तरह पूरी दुनिया में स्वराज ने भारतीयों के बीच अपार लोकप्रियता हासिल की। संयुक्त राष्ट्र संघ के उनके भाषण इस मायने में अविस्मरणीय है कि पाकिस्तान के तीखे हमलों और आरोपों का शालीनता से जवाब देते हुए उन्होंने दुनिया को बताया कि भारत की वि दृष्टि किस तरह सर्व समावेशी है और हमारा विचार वि कल्याण के भाव से भरा हुआ है। नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति अत्यंत सफल मानी जाती है तो सुषमा स्वराज के योगदान को कोई नकार नहीं सकता है। पार्टी पदाधिकारी के रूप में, नेता के रूप में, सांसद के रूप में कभी भ्रष्टाचार का आरोप उन पर नहीं लगा।
यद्यपि अब वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन राजनीति में आने का विचार करने वाले और राजनीति करने वालों के लिए वह हमेशा प्रेरणा-स्रोत बनी रहेंगी। उन्होंने राजनीति को कभी कॅरियर या प्रोफेशन नहीं माना। कभी भी अपने को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया। आरंभ से ही उनके लिए रास्ता बनता चला गया। आज की पीढ़ी के कार्यकर्ताओं के लिए उनके जीवन की सीख यह है कि अगर आपमें क्षमता है, ईमानदारी है तो निश्चित रूप से देश में जो आपकी भूमिका होनी चाहिए वहां तक आप पहुंच सकते हैं। हमारी सादर श्रद्धांजलि।
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