चीन की नाहक दखल

Last Updated 08 Aug 2019 02:14:47 AM IST

जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिलने वाले विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर देने से पाकिस्तान बौखला गया है।


चीन की नाहक दखल

बौखलाहट में वह उस नैतिकता, मर्यादा और क्षेत्र विशेष की अखंडता को बरकरार रखने के नियमन को भी तार-तार कर रहा है, जिसकी अपेक्षा आमतौर पर दूसरे मुल्क से की जाती है। यह आदर्श आचरण किसी भी देश से अपेक्षित है। मगर पाकिस्तान की तिलमिलाहट समझी जा सकती है। चूंकि कई सालों से कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को खाद-पानी देने वाला पाकिस्तान अब भारत के इस कदम से अपंग हो गया है, लिहाजा कुंठा में उससे गलतबयानी भी हो रही है।

पुलवामा जैसे हमले होने और खूनखराबा होने की आशंका जताकर पाकिस्तान अपनी ही कब्र खोदने में जुट गया है। और यही समझदारी पाकिस्तान को अब तलक नहीं आ सकी। जम्मू-कश्मीर में भारत जो कुछ करे, उसके पेट में मरोड़े पड़ने का कोई मतलब समझ के बाहर है।

किंतु ‘चोर चोरी से जाए हेराफेरी से नहीं’ वाली कहावत पड़ोसी मुल्क पर सोलह आने सटीक बैठती है। इस नाते भारत को कूटनीतिक पहल के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी ठोस और दूरगामी कार्यक्रम बनाने होंगे। स्वाभविक तौर पर पाकिस्तान की दुर्भावना और कुटिल सोच से हम अनभिज्ञ नहीं हैं। इस नाते उसकी काट की हरसंभव तैयारी हमें रखनी होगी।

जहां तक बात चीन की है तो उसने कश्मीर नहीं बल्कि लद्दाख को केंद्रशासित बनाए जाने पर अपनी आपत्ति जताई है। हालांकि यह सिर्फ इतने भर का मसला नहीं है। चूंकि लद्दाख का इलाका तिब्बत से मिलता है, सो चीन को लगता है कि देर-सबेर भारत इस ओर से चीन को घेरने की कोशिश करेगा। उसे यह भी भान है कि अक्साई चिन को लेकर भी भारत का रुख अब बदला हुआ है।

भारत का दृष्टिकोण बेहद साफ है कि जब भी जम्मू-कश्मीर की बात होगी, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और चीन के कब्जे वाला अक्साई चीन इसमें समाहित है। इसमें किसी तरह का संशय नहीं है। दुनिया जानती है कि भारत के महत्त्वपूर्ण इलाके कैसे पाकिस्तान और चीन ने कब्जाए हैं। किसी भी मुल्क यहां तक कि अमेरिका तक से पाकिस्तान की पीठ पर हाथ नहीं रखना अपने आप में बहुत कुछ बयां करता दिखता है। भारत को भी अभी कई मोचरे पर खेलने के बजाय एक-एक कर आगे बढ़ना होगा। यही वक्त की मांग है।



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